दीदी की EC से ख़ास मांग : 4 चरणों के चुनाव एक दिन में कराए जाएं – क्या है वजह ?

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कोलकाता। देश भी में कोरोना बेकाबू हो गया है। एक दिन में रिकॉर्ड 2 लाख से अधिक संक्रमण के मामले सामने आए हैं। इस बीच पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं। इस चुनाव में अभी चार चरण का मतदान बाकी है। इसे देखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को यह सुझाव दिया है कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बचे हुए चारों चरणों के चुनाव को एक साथ कराया जाए।

ममता बनर्जी का यह सुझाव उस वक्‍त आया है जब कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए बंगाल चुनाव आयोग ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। आयोग बचे हुए चरणों के चुनाव को लेकर पार्टियों की राय जानेगा। इस मामले को लेकर ऊहापोह उसने खत्म कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बंगाल में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए भी बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है।

असम में तीन चरणों में चुनाव हुए जबकि केरल, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी में एक ही चरण में पूरे चुनाव हो गए.पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त डॉक्टर एसवाई क़ुरैशी ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल में आख़िरी तीन फेज़ के चुनाव एक साथ कराने के विचार का समर्थन किया है.

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गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के लिए आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराने का ऐलान किया था. बाकी चार राज्यों तमिलनाडु, केरल, पुदुच्चेरी और असम में विधानसभा चुनाव 6 अप्रैल को ही संपन्न हो गया था. बंगाल में कोरोना के लगातार मामले बढ़ते जा रहे हैं और रोजाना यह संख्या 6 हजार के करीब पहुंच गई है. कोलकाता हाईकोर्ट ने भी बंगाल की चुनावी रैलियों में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने जैसे कोरोना के बुनियादी मानकों की उड़ती धज्जियों पर गहरी नाराजगी जताई थी.

आपको बता दें कि बंगाल में पांचवें चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को, छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को और आठवें चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होगा। 2 मई को बंगाल के साथ ही तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और असम के भी नतीजे आएंगे।

पश्चिम बंगाल में एक दिन में अब तक के सबसे अधिक 6,769 मामले गुरुवार को सामने आए हैं जहां 22 मरीज़ों ने दम तोड़ा है. और अगर देश भर की बात की जाए तो गुरुवार को दो लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले सामने आए और मरने वालों की संख्या भी एक हज़ार के पार चली गई. कई राज्यों में आंशिक लॉकडाउन या कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं हैं. ऐसे में बहुत से लोग इस बात को उठा रहे हैं कि राजनीतिक दल चुनावी रैलियों को करने से बाज़ क्यों नहीं आ रहे हैं.

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