द लीडर | दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन को कोर्ट ने 9 जून तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है. प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में आज पेश किया गया। ईडी की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारे पास डाटा एंट्री है कि कैसे हवाला में पैसा लगाया गया, पैसा भेजा गया है। ईडी ने 14 दिनों की कस्टडी की मांग की। इससे पहले ईडी अधिकारियों ने कहा कि कुछ घंटों की पूछताछ के बाद उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम की आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री जवाब देने में ‘टालमटोल’ कर रहे थे।
सबसे पहले जानिए सत्येंद्र जैन के बारे में
57 साल के सत्येंद्र जैन दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य, उद्योग, बिजली, गृह, शहरी विकास और जल मंत्री हैं। वह हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी के प्रभारी हैं। वह मूल रूप से यूपी के बागपत के रहने वाले हैं। उन्होंने आर्किटेक्चर की पढ़ाई की है। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में सरकारी नौकरी की। उनकी पत्नी भी आर्किटेक्चर क्षेत्र में काम करती हैं। अपनी आर्किटेक्चर कंसल्टेंसी फर्म बनाने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। अन्ना आंदोलन में केजरीवाल के साथ आए और दोस्ती मजबूत होती चली गई। बताते हैं कि केजरीवाल सरकार की जिस मोहल्ला क्लीनिक को लेकर काफी तारीफ होती रही है, उसके पीछे सत्येंद्र जैन का दिमाग था।
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अन्ना आंदोलन से आगाज, केजरीवाल का साथ
राजनीति में सत्येंद्र जैन को अपनी पहली पहचान अन्ना आंदोलन की वजह से मिली थी. साल 2011 में जन लोकपाल बिल के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने अनशन शुरू कर दिया था। उस आंदोलन में अन्ना का साथ अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास, किरण बेदी जैसे कई चेहरों ने दिया जो आगे जाकर दिल्ली की राजनीति में काफी सक्रिय दिखे. ऐसा ही एक चेहरा सत्येंद्र जैन भी थे जिन्होंने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से अपनी नौकरी छोड़ दी थी और राजनीति में आने का फैसला किया था। उनके लिए सबसे पहला राजनीतिक मंच अन्ना हजारे का अनशन ही रहा जहां उनकी पहचान अरविंद केजरीवाल से हुई और देखते ही देखते वे उनके काफी करीबी बन गए।
गिरफ्तारी क्यों की गई?
दरअसल, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ ईडी का केस 2017 में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई उस एफआईआर पर आधारित है जिसमें कथिततौर पर 4.63 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे थे। पैसे का यह खेल चार कंपनियों के जरिए किया गया। ये सभी कंपनियां सत्येंद्र जैन से जुड़ी पाई गईं। शुरुआती जांच में पता चला है कि जैन और उनकी पत्नी की इन कंपनियों में एक तिहाई हिस्सेदारी थी। दोनों जांच दिल्ली के औचंदी, बवाना, कराला और मोहम्मद माजवी गांवों में 2010 और 2016 के बीच 200 बीघे से ज्यादा जमीन की खरीद पर आधारित है। ये खरीदारी जैन और उनके परिवार के सदस्यों की फर्मों द्वारा की गई।
पहले भी हो चुके हैं अरेस्ट
सत्येंद्र जैन व उनके परिवार पर शेल कंपनियां बनाकर अवैध ढंग से लेन देन का आरोप है। आप नेता जैन पर पीएमएलए यानी एंटी मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत सीबीआई ने 2017 में केस दर्ज कर अरेस्ट भी किया था। इसी आधार पर ईडी ने भी जांच शुरू की थी। सेंट्रल एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग जांच एजेंसी ने अप्रैल 2022 में 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कुर्क किया था। ईडी के अनुसार मंत्री और उनके परिजन ने चार शेल कंपनियों को बनाकर बगैर किसी व्यवसाय के अवैध लेन देन किया। ईडी के अनुसार अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड, पर्यास इंफोसोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, जे जे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, सत्येंद्र कुमार जैन के परिवार के सदस्यों- स्वाति जैन, सुशीला जैन और इंदु जैन से जुड़ी हैं। इन कंपनियों को शेल कंपनियों से हवाला द्वारा धन भेजा गया।