इंदिरा गांधी के लुक में #Emergency की याद दिलाएंगी कंगना

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कंगना रनौत जल्द एक ऐसी फिल्म करने जा रही हैं, जिसमें वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के किरदार में नजर आएंगी। (Kangana Will Remind Emergency)

इससे पहले भी वह अपने कार्यालय से जारी बयान में बता चुकी हैं, “हां, हम परियोजना पर काम कर रहे हैं और स्क्रिप्ट अंतिम चरण में है। यह इंदिरा गांधी की बायोपिक नहीं है। यह असल में एक राजनीतिक नाटक है, जो मेरी पीढ़ी को वर्तमान भारत के राजनीतिक परिदृश्य को समझने में मदद करेगा।

अभिनेत्री ने कहा, “कई प्रमुख अभिनेता इस फिल्म का हिस्सा होंगे और निश्चित रूप से मैं भारतीय राजनीति के इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित नेता की भूमिका निभाना चाहूंगी।” (Kangana Will Remind Emergency)

विवादों से सुर्खियों में रहने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत ने पिछले साल फेसबुक पर तीन तस्वीरें डालकर लिखा-

Every character is a beautiful beginning of a new journey, today we started journey of #Emergency #Indira with body, face scans and casts to get the look right. Many amazing artists get together to bring one’s vision alive on screen…. This one will be very special.

(हर किरदार एक नई यात्रा की एक खूबसूरत शुरुआत है, आज हमने बॉडी, फेस स्कैन और कास्ट के साथ #इमरजेंसी #इंदिरा की यात्रा शुरू की ताकि लुक सही हो सके। अपने विजन को पर्दे पर जीवंत करने के लिए कई अद्भुत कलाकार एक साथ आते हैं…. ये वाला बेहद खास होगा।)

कंगना ने कहा कि “फिल्म एक किताब पर आधारित है”, हालांकि उन्होंने यह नहीं लिखा कि किस किताब पर आधारित है। लेकिन, यह जरूर संकेत दिया गया है कि फिल्म में आपातकाल और ऑपरेशन ब्लू स्टार खास हिस्सा होंगे।

निर्देशक साई कबीर, जिन्होंने पहले “रिवॉल्वर रानी” में कंगना के साथ काम किया था, फिल्म का निर्देशन करेंगे।

सूत्रों का कहना है, पटकथा तैयार है। यह फिल्म बहुत बड़े स्तर पर बनाई जाएगी, जिसमें संजय गांधी, राजीव गांधी, मोरारजी देसाई, और लाल बहादुर शास्त्री जैसे अन्य प्रमुख हस्तियों के किरदार भी नजर आएंगे।

इस तरह रखी गई थी आपातकाल की बुनियाद

आजादी के बाद देश ने तरक्की के जो ख्वाब संजोए, वह इंदिरा गांधी की सरकार आने तक मायूसी में बदल गए थे। जगह-जगह असंतोष की लहर उठ रही थी।इसी दरम्यान संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राजनारायण ने इंदिरा गांधी के खिलाफ रायबरेली से 1971 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में इंदिरा गांधी विजयी रहीं।

इसका एक कारण यह भी था कि उससे पहले भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध में भारत को जीत हासिल हुई, पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया, जिससे बांग्लादेश का निर्माण हुआ। (Kangana Will Remind Emergency)

इंदिरा गांधी का नया शासन भी गरीबी, महंगाई, शिक्षा, रोजगार के सवालों को ठीक से हल नहीं कर पा रहा था, जिसके विरोध में युवाओं का आंदोलन फूट पड़ा। जय प्रकाश नारायण की आवाज पर संपूर्ण क्रांति का नारा हर जगह गूंजने लगा।

इससे पहले ही एक घटनाक्रम यह भी हुआ कि 1971 में इंदिरा गांधी की जीत को संदिग्ध बताकर राजनारायण ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी थी। कहा जाता है कि आपातकाल की बुनियाद यहीं से रख गई थी।

राजनारायण ने अपनी याचिका में गंभीर आरोप लगाए थे। याचिका में कहा गया, इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद के डीएम व एसपी की मदद चुनाव जीतने के लिए मदद ली और प्रशासन का भरपूर दुरुपयोग किया। इंदिरा गांधी ने 50 हजार रुपये की घूस देकर एक डमी कैंडिडेट को राजनारायण के वोट काटने के लिए खड़ा किया। इसके अलावा चुनाव प्रचार के लिए वायु सेना के विमानों का भरपूर दुरुपयोग किया। (Kangana Will Remind Emergency)

यह भी आरोप लगाया कि यशपाल कपूर जो कि सरकारी अधिकारी होने के साथ ही इंदिरा गांधी के सचिव भी थे, उन्हें इंदिरा गांधी ने अपना इलेक्शन एजेंट बनाया जबकि यशपाल कपूर का इस्तीफा राष्ट्रपति ने मंजूर नहीं किया था। प्रत्येक चुनाव में पैसा खर्च करने की सीमा होती है, जबकि इंदिरा गांधी ने इस सीमा से कहीं अधिक पैसा अपने चुनाव में खर्च किया। चुनाव जीतने के लिए रायबरेली के मतदाताओं को जमकर शराब व कंबल बांटे।

सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने अपना फैसला सुनाया। दिन था 12 जून 1975। इंदिरा गांधी को सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का दोषी पाया गया। इस आधार पर इंदिरा गांधी के निर्वाचन को खारिज कर दिया गया और उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ता।

इंदिरा गांधी ने छोटे बेटे संजय गांधी की सलाह पर 23 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की। जिस पर 24 जून को जस्टिस अय्यर ने कहा कि इस फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती, लेकिन उन्होंने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बने रहने की अनुमति दे दी और एक सांसद के रूप में उनके मतदान को प्रतिबंधित कर दिया। अगले ही दिन यानी 25 जून 1975 की रात को यह ऐलान गूंज उठा- देश में आपातकाल घोषित किया जाता है।

आपातकाल लागू हाेते ही इंदिरा सरकार के सभी विरोधी निशाने पर आ गए। हालांकि इंदिरा गांधी का कहना था कि सिर्फ उन्हीं लोगों पर कार्रवाई हुई जो देश को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे थे। बहरहाल, यह हकीकत है कि तमाम सिरफिरे आरोपों में अनगिनत लोग जेल में डाल दिए गए। कई नेताओं को विदेश तक में पनाह लेना पड़ी। देश-विदेश से विरोध की लहर उठने पर आपातकाल हटाकर चुनाव कराए गए। इंदिरा गांधी के अनुरोध पर राष्ट्रपति ने 21 मार्च 1977 को आपातकाल समाप्ति की घोषणा की। (Kangana Will Remind Emergency)


अब्बा- शबाना आज़मी की यह कहानी हर बेटी और पिता को सुनना चाहिए


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