दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के 262वें दिन, 15 अगस्त को आंदोलनकारियों ने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस को किसान मजदूर आजादी संग्राम दिवस के रूप में मनाया। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विरोध स्थलों समेत देश के विभिन्न हिस्सों में लाखों किसानों ने तिरंगा यात्रा निकाली। तमिलनाडु के किसानों के एक बड़े समूह ने सिंघु बॉर्डर पर मार्च निकाला। इसके साथ ही किसान कांवड़ यात्रा जारी रही, जिसमें किसान एक हाथ में खेतों की मिट्टी और दूसरे में गांव का पानी लेकर शहीद स्मारक तक ला रहे हैं। मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी में अनोखे अंदाज में एक तिरंगा यात्रा निकाली गई। सिरसा में निकाली गई तिरंगा यात्रा में रंगारंग झांकी शामिल रही। ट्रैक्टरों पर किसानों की मशीनरी लगी हुई थी, जो महिलाओं द्वारा चरखे पर सूत कताई के साथ प्रदर्शित की गई। करनाल, जींद, यमुनानगर और अन्य जगहों से भी ऐसी रिपोर्ट आई है। कई स्थानों पर बड़ी संख्या में महिला किसान शामिल हुईं।
इस बीच, देश के छोटे और सीमांत किसानों के पक्ष में नीतियों के बारे में प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस भाषण की आलोचना की गई कि प्रधानमंत्री ऐतिहासिक किसान आंदोलन का उल्लेख करने से कतराते रहे, जबकि 600 किसान शहीद हो चुके हैं।
किसान मोर्चा ने कहा, ”यह गहरी विडंबना है कि प्रधानमंत्री बहुप्रचारित ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ (पीएमएफबीवाई) के बारे में बात करते रहे, इसके बावजूद कि यह योजना पूरी तरह से विफल रही है। जलवायु परिवर्तन के युग में, भारत की कृषि-बीमा योजना में पहले की तुलना में अब किसानों का कवरेज घटा है, बीमा कंपनियों को अधिक लाभ मिला है, और ऐसा करने के लिए करदाताओं का पहले की तुलना में अधिक धन खर्च हुआ है। उल्लेखनीय है कि “किसानों की आय दोगुनी करने” के दावों और प्रतिबद्धताओं पर भी आश्चर्यजनक चुप्पी रही, भले ही इस दावे को अमल में लाने के लिए आधिकारिक समय सीमा अगले साल ही है।”
आंदोलनकारी नेतृत्व ने बयान जारी करके कहा है कि भाजपा नेताओं के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार और काले झंडे का विरोध अब उत्तर प्रदेश में भी फैल गया है। मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली में स्थानीय विधायक उमेश मलिक को स्थानीय किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। हरियाणा के हिसार में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध कर रहे किसानों ने कहा कि उनका विरोध राष्ट्रीय ध्वज के खिलाफ नहीं है, उसकी गरिमा को बनाए रखेंगे, यह विरोध भाजपा की पार्टी गतिविधियों और उसके नेताओं के खिलाफ है।
भारत के स्वतंत्रता दिवस पर, अमेरिकी किसानों ने विरोध कर रहे भारतीय किसानों के साथ एकजुटता का संदेश दिया। भारतीय प्रदर्शनकारियों के अमेरिकी समकक्षों ने मुक्त व्यापार नीति, जिसने वहां के किसानों को गरीब जबकि कॉर्पोरेट और पूंजीपतियों को अमीर बना दिया है, में अपनी पीड़ा और संकट का वर्णन किया। उनकी लगभग विलुप्त होने की कहानी भारतीय किसानों के लिए एक सबक है।
मोर्चा की ओर से बताया गया, मिशन उत्तर प्रदेश के तहत 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने जा रही विशाल जन-सभा की तैयारी जोरों पर चल रही है। न केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में बल्कि आसपास के अन्य राज्यों में भी लामबंदी बैठकें आयोजित की जा रही हैं। योजना है कि किसानों की इस सभा से मोदी सरकार और विभिन्न राज्यों की भाजपा सरकारों द्वारा अपनाई गई किसान-विरोधी, कॉर्पोरेट-समर्थक नीतियों का संदेश उत्तर प्रदेश के कोने-कोने तक पहुंचाया जाएगा।
यह भी बताया कि 14 अगस्त को तमिलनाडु सरकार ने अपना पहला कृषि बजट पेश किया और इसे दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्पित किया। कई अन्य राज्य सरकारों ने भी पूर्व में किसान आंदोलन को अपना समर्थन व्यक्त किया है।