कोविड-19 से जंग में जिस देश में कम भ्रष्टाचार, वहां बेहतर हालात, भारत इस पायदान पर

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दुनियाभर में कोविड-19 महामारी ने सरकारों और व्यवस्था की कलई खोलकर रख दी। इस दौरान ही एक दिलचस्प अध्ययन हुआ, जिसमें हर देश में मौजूद भ्रष्टाचार और महामारी से लड़ने के जज्बे को आंका गया। इस अध्ययन में तमाम बात बहादुर राष्ट्र नेता औंधे मुंह गिर गए।

महामारी के दौरान भी भ्रष्टाचार का आलम ये है कि आम जीवन और सेहत को लेकर सरकारें कोई गंभीर कदम उठाने में नाकाम ही दिखाई दीं। दुनियाभर में धाक और रौब दिखाने वाले अमेरिका के ट्रंप प्रशासन का रवैया और प्रदर्शन बेहद खराब रहा। भारत की कोशिशों को इस अध्यन के आधार पर समझा जा सकता है।

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एंटी-ग्राफ्ट संगठन के बारीकी से किए गए वार्षिक अध्ययन के अनुसार, कम भ्रष्टाचार वाले देशों में कोरोनो वायरस महामारी के साथ स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौतियों का सामना करने का बूता दिखाई दिया।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के 2020 करप्शन परसेप्शन इंडेक्स, जो विशेषज्ञों और कारोबारियों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार की धारणा को मापता है, ने अध्ययन को किया। अध्ययन बताता है कि जिन देशों ने स्वास्थ्य सेवा में अच्छा निवेश किया है, वे “सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने में सक्षम हैं और वहां लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन की संभावना कम है।”

” कोविड-19  सिर्फ एक स्वास्थ्य और आर्थिक संकट नहीं है। यह एक भ्रष्टाचार संकट है – जिससे निपटने में अधिकांश देश विफल रहे हैं”, ट्रांसपेरेंसी हेड, डेलिया फेरेरा रूबियो ने कहा।

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डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहते संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस वर्ष के सूचकांक में एक नई गिरावट दर्ज की है, जहां 67 का स्कोर है, भ्रष्टाचार यहां काफी बढ़ गया। अमेरिका और चिली 25वें पायदान पर हैं। पिछले वर्षों की तुलना में अमेरिका के लिए यह सबसे निचला स्तर है।

ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के अनुसार, “तमाम तरह के तामझाम और प्रयोगों के साथ ही पैकेज दिखावा बनकर रह गए, यहां तक कि लोकतांत्रिक मानदंड पर सरकारों ने जवाबदेही की मर्यादा भी नहीं निभाई।”

रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार, भ्रष्टाचार और कोरोना वायरस के बीच गहरा रिश्ता दुनियाभर में व्यापक रूप से दिखाई देता है।

उरुग्वे ने 71 का स्कोर बनाया – इसे सूची में 21 वें स्थान पर रखा। यह देश स्वास्थ्य सेवा में भारी निवेश करता है और एक मजबूत महामारी विज्ञान निगरानी प्रणाली है, जिसने न केवल कोविड -19, बल्कि अन्य बीमारियों, जैसे कि पीले बुखार और ज़ीका वायरस पर भी नियंत्रण किया है।

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Pravasi Sammelan bharatvanshi Iindia

बांग्लादेश, जिसने 26 स्कोर बनाया लेकिन सूची में 146 वें स्थान पर रखा गया, कारण? “स्वास्थ्य सेवा में कम निवेश करता है जबकि भ्रष्टाचार कोविड -19 के दौरान भी फलता-फूलता रहा, स्वास्थ्य क्लीनिकों में रिश्वतखोरी से लेकर मदद के नाम पर लापरवाही के ढेरों मामले सामने आए।”

सर्वेक्षण में शामिल 180 देशों में से दो-तिहाई ने 100 में से 50 से नीचे स्कोर किया और औसत स्कोर 43 रहा।

डेनमार्क और न्यूजीलैंड पहले पायदान पर रहे, जहां 88 के स्कोर के साथ नाममात्र का भ्रष्टाचार दिखा, इसके बाद फिनलैंड, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड और स्वीडन के स्कोर 85, नॉर्वे का 84, नीदरलैंड्स, जर्मनी और लक्समबर्ग का स्कोर 82 रहा। 80 से कम स्कोर वाले देश शीर्ष 10 देशों में शामिल नहीं किए गए।

ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, हांगकांग और ब्रिटेन ने 11वें स्थान के लिए 77 स्कोर हासिल किया। भारत शीर्ष दस देशों में नहीं आ पाया, यह सवालिया निशान है।

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