जानिए अफगान शरणार्थियों को पनाह देने के लिए कौन-कौन से देश आए मदद को आगे

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द लीडर हिंदी, लखनऊ | तालिबान का अफगानिस्तान के ऊपर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लेने के बाद अब अफगानिस्तान के लोग नए देशों में जाकर शरण लेने के प्रयास में लगे हैं। कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं जिसमे यह देखने को मिल रहा है कि किस तरह अफगान के लोग अपनी जान बचाने के लिए हवाई अड्डे पर भीड़ लगाए हुए हैं। यह सभी लोग अपना वतन छोड़ कर अब किसी नए देश में बसने के प्रयास में लगे हैं। 

दरअसल, अफगानिस्तान के नागरिक सुरक्षित ठिकाने की तलाश में किसी भी तरह से देश छोड़ना चाहते हैं। कई लोग तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान, तुर्की और पाकिस्तान की ओर भाग रहे हैं। आइये जानते है कि अब तक किन देशों ने अफगान शरणार्थियों को पनाह देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।

अब तक किन देशी ने दी प्रतिक्रिया ?

  • ब्रिटेन 
  • अमेरिका 
  • कनाडा 

ब्रिटेन देगा 20,000 लोगों को शरण 

ब्रिटेन ने कहा है कि वह 20,000 अफगान शरणार्थियों को शरण देने को तैयार है। ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने कहा है कि यूनाइटेड किंगडम(UK) अपने देश से भाग रहे 20,000 अफगान शरणार्थियों को अपने देश में शरण देगा। इसमें महिलाओं और लड़कियों को प्राथमिकता दी जाएगी।

प्रीति पटेल ने बुधवार को ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा जारी एक बयान में कहा, कि हमारी नई अफगान नागरिक पुनर्वास योजना उन 20,000 लोगों का स्वागत करती है जिन्हें अफगानिस्तान से भागने के लिए मजबूर किया गया है। जिनमें से पहले 5000 लोग अगले साल आएंगे।

  • ब्रिटेन में किन लोगों को मिलेगी प्राथमिकता ?

यूनाइटेड किंगडम प्राथमिकता उन महिलाओं और लड़कियों को देगा जो तालिबान के शासन में मानवाधिकार छिने जाने को लेकर परेशान हैं। साथ ही साथ अफगान दुभाषियों, शिक्षकों और सामुदायिक कार्यकर्ताओं, जिन्होंने यूके मिशन के साथ काम किया है।

गृह मंत्री ने कहा कि करीब 2,000 अफगान नागरिक जिन्होंने अफगानिस्तान में ब्रिटेन के सशस्त्र बलों की सहायता की थी, जून के अंत से ब्रिटेन में बस गए हैं। उन्होंने अन्य यूरोपीय देशों से अफगान शरणार्थी पुनर्वास कार्यक्रमों में शामिल होने का भी आह्वान किया।

अमेरिका मदद को आया आगे

अमेरिकी सरकार कतर के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रही है, जिसमें अमेरिकी सेना के साथ काम करने वाले हजारों अफगान शरणार्थियों को अस्थायी रूप से पनाह दी जाए। यह जानकारी स्थानीय मीडिया ने दी।

कनाडा करेगा मदद

कनाडा ने तालिबान के प्रतिशोध से बचाने के लिए महिला नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों सहित 20,000 से अधिक कमजोर अफगानों को फिर से बसाने की योजना बनाई है। कनाडा के आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता मंत्री मार्को मेंडिसिनो ने इस बात की जानकारी दी।

अफगान शरणार्थियों के लिए खुला रखें बॉर्डर- UN

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने अफगानिस्तान के नागरिकों की जान बचाने और मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए तालिबान और सभी अन्य पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। गुटेरेस ने मानवीय आधार पर सभी देशों को अफगान शरणार्थियों को प्रवेश देने की अपील की है।

अफगान शरणार्थियों को रोकने की कवायद

तुर्की ईरान से लगे बॉर्डर पर 295 किलोमीटर लंबी दीवार बना रहा है, ताकि अफगान शरणार्थियों को रोका जा सके। तुर्की के अधिकारियों के मुताबिक इस बॉर्डर पर अब सिर्फ 5 किलोमीटर का काम बचा है। बाकी के हिस्से पर दीवार खड़ी कर दी गई है। तुर्की में पहले से ही सीरियाई शरणार्थी लाखों की संख्या में मौजूद हैं। ऐसे में तुर्की नहीं चाहता कि उसके ऊपर शरणार्थियों का बोझ और बढ़े।

क्या है भारत की भूमिका ?

अफगानिस्तान के संकट की इस घड़ी में अब IIT दिल्ली और JNU (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) जैसे संस्थान अफगानिस्तान के अपने छात्रों की मदद के लिए आगे आए हैं।

IIT दिल्ली का बयान 

IIT ने अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर कहा कि वह अफगान छात्रों को कैंपस में वापस लाने की कोशिश करेगा। आईआईटी दिल्ली के मुताबिक संकट की इस घड़ी में आईआईटी दिल्ली अपने छात्रों और अफगानिस्तान के अपने पूर्व छात्रों के साथ खड़ा रहेगा। संस्थान ने अफगान छात्रों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया है। आईआईटी दिल्ली के मुताबिक मुसीबत में फंसे छात्रों के लिए 91-11-26591713, 91-9811091942 यह दो हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं।

JNU का बयान 

वहीं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से जुड़े अफगानिस्तान के दो दर्जन से अधिक छात्रों ने भारत सरकार से उनकी वीजा अवधि बढ़ाने की अपील की है। इन छात्रों का वीजा अगले 2 महीने में खत्म हो रहा। अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को देखते हुए फिलहाल यह छात्र अपने देश नहीं लौटना चाहते। यही कारण है कि इन छात्रों ने वीजा की अवधि बढ़ाने की अपील की है।

जेएनयू का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को कुछ अफगान छात्रों के विश्वविद्यालय परिसर में वापसी कराने के अनुरोध मिले हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस विषय में छात्रों के हितों को देखते हुए जल्द ही सकारात्मक निर्णय लिए जाएंगे।

वहीं जेएनयू छात्र संघ भी अफगानी छात्रों की मदद के लिए आगे आया है। छात्र संघ ने इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखते हुए अपील की है कि अफगानी छात्रों को वीजा संबंधी अनुमति एवं छात्रावास की सुविधाएं तुरंत मुहैया कराई जाएं।

इस विषय में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर रविकेश का कहना है कि जेएनयू के कुछ अफगान छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में उनकी वापसी कराने का अनुरोध किया है। हालांकि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशा निदेशरें अनुसार अनुसार विश्वविद्यालय अभी सामान्य गतिविधियों के लिए बंद है।

कल हुई थी पीएम आवास पर अहम बैठक

अफगानिस्तान के हालात को लेकर पीएम आवास 7 LKM पर मंगलवार को बड़ी बैठक हुई थी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की सकुशल वापसी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है. सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने कहा कि भारत आने वाले हर अल्पसंख्यक की मदद की जाएगी. प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजित डोभाल भी मौजूद रहे.

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में सभी संबंधित अधिकारियों को आने वाले दिनों में अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया.

अफगानिस्तान के लिए स्पेशल नंबर जारी

इस बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आज मंगलवार को विदेश मंत्रालय की ओर से 24 घंटे चलने वाले विशेष अफगानिस्तान सेल के नंबर भी जारी किए. स्पेशल सेल को अफगानिस्तान से प्रत्यावर्तन और अन्य अनुरोधों के समन्वय के लिए स्थापित किया गया है.

Phone numbers: +91-11-49016783, +91-11-49016784, +91-11-49016785

WhatsApp number: +91-8010611290

E-mail: SituationRoom@mea.gov.in

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