हरियाणा विधानसभा : साड्डा हक़ एथे रख

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चंडीगढ़। वैसे तो पूरी दुनिया में आधी दुनिया यानी महिलाओं को उनका पूरा हक़ नही मिलता और खासकर हमारे देश में कई ऐसे राज्य हैं, जहाँ अक्सर महिलाओं के साथ नाइंसाफी की खबरें आती हैं, उनमें से एक राज्य है हरियाणा। हरियाणा की तेरहवीं विधानसभा में महिला विधायकों का कम दबदबा रहा था। 2019 में 12वीं विधानसभा की तुलना में कम महिला नें विधायक जीतकर विधानसभा में दहलीज राखी थी। 2014 में 13 महिलाएं विधायक बनी थीं, बाद में मात्र आठ ही महिलाएं जीत हासिल कर पाईं थीं। 2019 में कांग्रेस से सबसे अधिक पांच महिला विधायक बनी हैं, भाजपा से दो और जजपा से एक महिला जीतने में सफल रही। लेकिन हरियाणा विधानसभा में एक काम ऐतिहासिक होने जा रहा हैं।

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इस बार हरियाणा की महिला विधायक सदन चलाएंगी। शुक्रवार को बजट सत्र में स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने सदन में यह घोषणा की। पांच महिला विधायक सीमा त्रिखा, निर्मल रानी, नैना चौटाला, गीता भुक्कल और किरण चौधरी चेयरपर्सन नियुक्त की गई हैं। सभी महिला सदस्यों को अपनी बात रखने का अधिक से अधिक मौका दिया जाएगा यानी पूरा सदन महिलाओं के नियंत्रण में होगा। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आठ मार्च को मनाया जाता है। हरियाणा की राजनीति के इतिहास में यह पहला और अभूतपूर्व दिन होगा।

शुक्रवार को सदन में कांग्रेस के एपीएमसी एक्ट में संशोधन के निजी विधेयक को रद्द करने पर बहस हुई। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा और मुख्य सचेतक बीबी बत्रा ने आपत्ति जताई और निरस्तीकरण को गलत बताया। इस पर सीएम मनोहर लाल ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि 2008 में एपीएमसी एक्ट में आपने ही धारा-42 जोड़ी थी, उसे ही अब हटाने की बात कर रहे हैं।

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