कोरोना के सामने ‘बाहुबली’ बने पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी, ये है इनका मूलमंत्र ?

द लीडर हिंदी, लखनऊ। गोरखपुर में सतर्कता बरतकर पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी कोरोना के सामने भी बाहुबली साबित हुए। 87 साल की उम्र में उन्होंने कोरोना को अपने पास भटकने तक नहीं दिया।

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बता दें कि, उनके बड़े बेटे और पूर्व सांसद भीष्म शंकर तिवारी और नाती कोरोना संक्रमित हो गए थे, लेकिन वह खुद को बचाने में कामयाब रहे। इसकी वजह कोविड प्रोटोकाल का सौ फीसदी पालन करना है।

87 की उम्र में भी फिट हैं हरिशंकर तिवारी

पूर्व कैबिनेट मंत्री पूर्वांचल के बाहुबली रहे हरिशंकर तिवारी पांच अगस्त को 87 वर्ष के हो जाएंगे। उम्र के इस पड़ाव में भी वह पूरी तरह फिट हैं।

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घरवाले बताते हैं कि, कोरोना महामारी के दौरान बाबूजी की स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंता रही, मगर सख्ती से कोरोना प्रोटोकाल का पालन करके उन्होंने कोरोना वायरस को अपने आसपास भटकने तक नहीं दिया।

दो वर्षों से हरिशंकर तिवारी आयोजनों में जाने से परहेज करते रहे

जानकारी के अनुसार, पिछले दो वर्षों से पंडित हरिशंकर तिवारी आयोजनों में जाने से परहेज करते रहे हैं। सियासी लोग हों या करीबी व रिश्तेदार। सबसे दूरी बनाकर रहते हैं। उनके छोटे बेटे चिल्लूपार से विधायक विनय शंकर तिवारी बताते हैं, उम्र ज्यादा होने के चलते, अब उनकी पहले जैसी सक्रियता नहीं रही।

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वह बताते हैं कि, बाबू जी शाम को ज्यादातर समय गोशाला में गुजारते हैं। कुछ समय के लिए हाता परिसर में आते हैं। लोग दूरी बनाकर बात करते हैं। जिस कुर्सी पर वह बैठते हैं, उसे पहले सैनिटाइज किया जाता है। अगर कोई परिवार का सदस्य बाहर से आता है तो उनके पास नहीं जाता है।

कोरोना नियमों का पालन करने से स्वस्थ हैं

विनय शंकर ने बताया कि, मैं खुद जब लखनऊ या क्षेत्र से दौराकर करके आता हूं तो दो-तीन दिनों तक उनके पास नहीं जाता हूं। एहतियात ही है, जिसकी बदौलत वह स्वस्थ हैं।

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बता दें कि, पूर्वांचल के ब्राह्मणों में अच्छी पैठ रखने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी ऐसी शख्सियत हैं, जो पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे। सूबे में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार आई, उसने अपनी कैबिनेट में उन्हें जगह दी। छह बार विधायक रहे तो पांच बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला।

 

indra yadav

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