वनाग्नि:हाई कोर्ट ने कहा 6 महीने में 82% अधिकारी और 65% फॉरेस्ट गार्ड के खाली पद भरो

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द लीडर नैनीताल

उत्तराखंड उच्च न्यायालय में बुधवार को वनाग्नि के मसले पर हुई सुनवाई में एक बात साफ हुई कि वन विभाग के पास आग रोकने और बुझाने के लिए ग्राउंड स्टाफ ही नहीं है । यह भी साफ हुआ कि इस बारे में 12027 में जो निर्देश दिए उनका अनुपालन ही नहीं हुआ। खंडपीठ ने राज्य सरकार से 6 माह में वन महकमे में 82 % अधिकारी और 65 प्रतिशत फारेस्ट गार्डो के रिक्त पदों को भरने के निर्देश दिए हैं।
उच्च न्यायालय ने प्रदेश के वनों में लग रही भीषण आग का स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में लिया और प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक यानी प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में वर्चुअली मौजूद रहने को कहा था पीसीसीएफ ने मुख्य न्यायाधीश आर. सी. चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ को विभाग के वनाग्नि से लड़ने की नीति और तकनीक के बारे में बताया। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि वर्ष 2016 की भयंकर आग का मामला वर्ष 2017 में उठा था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 12 बिंदुओं के दिशा निर्देश लागू किये थे । इन अभी तक अमल नहीं किया गया है। पीसीसीएफ द्वारा न्यायालय को दी गई जानकारियों से असंतुष्ट न्यायालय ने वन रक्षकों के 65 प्रतिशत और एसिस्टेन्ट कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट यानी ए सी एफ के 82% रिक्त पदों को छह माह में भरने के निर्देश जारी किए हैं । न्यायालय ने सरकार से अपेक्षा की है कि वो पूर्व और वर्तमान में उनके द्वारा की गई जरूरी गाइड लाइनों का पालन करें उन्होंने बताया कि न्यायालय ने एनडीआरएफ और डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित (करने और उनके लिए परमानेंट बजट का इंतजाम करने को कहा है। न्यायालय ने ये भी कहा कि क्लाउड सीडिंग की नई नीति के बारे में विशेषज्ञ यहां के भौगोलिक परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए विचार करें !

 

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