#FarmersProtest: ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’ मनाकर किसान देंगे भाजपा को चुनौती, यह है तैयारी

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Goodwill Day farmers

काला दिवस कार्यक्रम में दिल्ली के बॉर्डरों पर जुटे किसानों और हिसार में प्रदर्शन से किसान मोर्चा के हौसले बुलंद हैं। किसान आंदोलन के छह महीने और मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर 26 मई को काला दिवस मनाकर जोश में आए किसान अब पूरे देश में केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों को चुनौती देने को मैदान में उतरने जा रहे हैं।

उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के विरोध में ‘मिशन’ शुरू करने की घोषणा पहले ही हो चुकी है। इसी क्रम में पांच जून को किसान आंदोलन संपूर्ण क्रांति दिवस कार्यक्रम के जरिए अपनी ताकत को परखेगा।

महामारी की दूसरी लहर के कमजोर होने और गेहूं की फसल के उठान से फारिग होकर किसानों के जत्थे दिल्ली की सीमाओं पर रोज ही पहुंच रहे हैं। शनिवार को पंजाब के दोआबा से बड़ा जत्था सिंघु बॉर्डर पहुंचा और मोर्चे की कई जिम्मेदारियों को संभाल लिया। आंदोलनकारी किसानों ने किसान हितैषी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस मौके पर किसान नेताओं ने कहा, ”चौधरी चरण सिंह असल मायने में देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे जिससे गांव के लोग खुशहाल रह सकें। किसानों का इस सरकार पर अविश्वास किसानों को चौधरी चरण सिंह की याद दिलाता है। आज केंद्र की मोदी सरकार कॉरपोरेट पक्षीय सिद्ध हो रही है, जहां वो किसानों मजदूरों की बात नहीं सुनती।”

किसान नेताओं ने दिल्ली में किसान घाट पहुंचकर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की।

संयुक्त किसान मोर्चा की एक दिन पहले हुई आम बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आने वाली 5 जून को ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’ मनाया जाएगा। इसी दिन खेती कानूनों के ऑर्डिनेंस के रूप में घोषित हुए 1 साल हो रहा है। इसके साथ ही 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा देते हुए देश में जन आंदोलन खड़ा किया था। लिहाजा संयुक्त किसान मोर्चा ने आह्वान किया है कि इस दिन भाजपा के सभी सांसद, विधायक और प्रतिनिधियों के दफ्तर के बाहर कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर संपूर्ण क्रांति दिवस मनाया जाएगा।

मोर्चा की ओर से जारी अपील में कहा गया है, ”संपूर्ण क्रांति दिवस पर सभी देशवासियों से आग्रह है कि केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का संकल्प लें और इसे जनांदोलन बनाते हुए सरकार को मजबूर करें कि वह नए कृषि कानून रद्द करे।”


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