#FarmersProtest: मुक्केबाज स्वीटी बूरा ने किसान आंदोलन को समर्पित किया एशियाई चैंपियनशिप में मिला पदक, मोदी सरकार को भेजा यह संदेश

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पांच जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाने के साथ ही आंदोलन को ऊंचाई पर ले जाने के लिए किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचना जारी है। आज रोहतक से किसानों का बड़ा जत्था अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में टिकरी बॉर्डर पर पहुंचा। इसी तरह सिंघु बॉर्डर पर भी सैकड़ों की संख्या में किसान धरने पर पहुंचे।

इस बीच भारतीय मुक्केबाज स्वीटी बूरा ने आंदोलन को एशियाई चैंपियनशिप में मिला पदक समर्पित करके हौसलों को और बढ़ा दिया। स्वीटी ने कहा कि देश के अन्नदाता भविष्य के लिए जो जंग लड़ रहे हैं, उनके लिए यह छोटा समर्पण है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से जल्द किसानों की मांगें मानने की अपील की।

किसान आंदोलन के उत्साह में एक दिन पहले आए तूफान ने खलल डालकर परेशानी पैदा की। हालांकि किसान मोर्चा की टीमों ने तुरंत सक्रिय होकर व्यवस्था को नियंत्रित कर लिया। तूफान से शाहजहांपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों का खासा नुकसान किया। बड़े पैमाने पर किसानों के टेंट, मंच, लंगर आदि के सामान खराब हो गए या क्षतिग्रस्त हो गए। किसानों के टेंट पूरी तरह उखड़ गए।

काबू पाने की कोशिश के दरम्यान कई किसानों को गंभीर चोटें भी आईं। किसान मोर्चा ने जन संगठनों और आंदोलन के हमदर्द लोगों से शाहजहांपुर बॉर्डर पर मदद पहुंचाने की अपील की है, जिससे किसानों को कोई दिक्कत पेश न आए। साथ ही सरकार को इन परिस्थितियों में धकेलने का जिम्मेदार ठहराया। कहा, सरकार कारपोरेट सेवा में इस कदर जिद पर न अड़ी होती तो किसान इन मुसीबतों में न होते।

किसान मोर्चा ने मन की बात कार्यक्रम की सख्त आलोचना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ शब्द किसानों और कृषि के बारे में कहे, लेकिन तीन कृषि कानूनों और सभी फसलों पर सभी किसानों को उचित एमएसपी की गारंटी के सवाल पर चुप्पी साध ली। सरकार के नुमाइंदे सांकेतिक रूप में एक-दो फसलों के बारे में बात कर रिकॉर्ड व ऐतिहासिक बताकर मीडिया में सुर्खियां बटोर लेते हैं और सभी फसलों और सभी किसानों की बात नहीं करते।

संयुक्त किसान मोर्चा ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि तीनों कृषि कानून सम्पूर्ण देश के किसान और आमजन के खिलाफ हैं और संपूर्ण देश के किसानों को प्रभावित करेंगे। आज प्रधानमंत्री ने सिर्फ सरसों की खरीद के बारे में बात कर फिर वह रवैया दोहराया है जिसमें सरकार किसानों की मांग पर सुने बगैर अपने मन की ही बात करती है।


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