किसानों ने सरकार के दो साल तक कानूनों का अमल टालने का प्रस्ताव ठुकराया

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दिल्ली के बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के 58वें दिन 21 जनवरी को किसानों ने सरकार ताजे प्रस्ताव को ठुकराकर अपनी मांगों पर अडिग रहने की घोषणा की। सरकार ने कानूनों के अमल को डेढ़ दो साल तक टालकर मामला सुलझाने का प्रस्ताव दिया था। इस पर किसानों ने आमसभा में मशविरा कर निर्णय लेने को कहा था।

संयुक्त किसान मोर्चा की आमसभा सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की मुख्य मांगों को दोहराया।

आमसभा में आंदोलन के दौरान अब तक शहीद हुए 147 किसानों को श्रद्धाजंलि अर्पित की गई। साथ ही संकल्प लिया गया कि जनांदोलन के इस बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा।

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पुलिस प्रशासन के साथ हुई बैठक में पुलिस ने दिल्ली में प्रवेश न करने की बात कही। वहीं किसानों ने दिल्ली की रिंग रोड पर परेड करने की बात दृढ़ता और ज़ोर से रखी।

मोर्चा की ओर कहा गया है कि शांतिपूर्ण चल रहा यह आंदोलन अब देशव्यापी हो चुका है। कर्नाटक में अनेक स्थानों पर वाहन रैलियों के माध्यम से किसान गणतंत्र दिवस के लिए एकजुट हो रहे हैं। केरल में कई जगहों पर किसान ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं।

उत्तराखंड के बिलासपुर व रामपुर समेत कई जगहों पर किसान ट्रैक्टर मार्च कर दिल्ली की किसान परेड की तैयारी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में किसान 23 जनवरी को राजभवन का घेराव करेंगे और एक जत्था दिल्ली की तरफ भी रवाना होगा।

नवनिर्माण किसान संगठन की किसान दिल्ली चलो यात्रा, जो कि ओडिशा से चली थी, उत्तरप्रदेश पुलिस द्वारा बार बार परेशान किया जा रहा है। उनको रुट बदलने से लेकर बैठकें न करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। आमसभा में प्रशासन के इस बर्ताव की निंदा की गई।

कोलकाता में 3 दिन का विशाल महापड़ाव 20 जनवरी से 22 जनवरी तक होगा। कल हुए विशाल कार्यक्रम में हज़ारों लोगों ने भाग लिया। आने वाले समय में ओर भी तेज होने की संभावना है।

मजदूर किसान शक्ति संगठन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसान, मजदूर व आम लोग शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंच रहे हैं।

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