नीति आयोग की बैठक में नदारद हुई बंगाल की दीदी, कह दी बड़ी बात।

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बीते लोकसभा के चुनाव के बाद से सरकार और विपक्ष में किसी न किसी बात को लेकर झड़प जारी है कभी सदन तो कभी सदन के बाहर, लेकिन ये नोकझोंक सिर्फ यही तक सीमित नहीं रह गयी है. बजट सत्र के दौरान भी ये झड़प साफ़ तौर पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में साफ़ तौर पर देखने को मिल, जहाँ लोकसभा हो या राज्यसभा हर जगह सांसदों से लेकर ज़मीनी नेताओं की लड़ाई साफ़ तौर पर देखने को मिली, वजह कभी बजट तो कभी उपचुनाव तो कभी सरकार की नीतियों को लेकर विपक्ष की तकरार लगातार सरकार से होती चली आ रही है. वही आज से दिल्ली में शुरू हुई नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री पहुंचे, जहाँ सभी ने अपनी-अपनी बातों को रखा. लेकिन इसी बीच प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हो रही नीति आयोग की बैठक में कुछ ऐसा हुआ जो किसी ने नहीं सोचा था. चलिए बताते है की पूरा माजरा क्या है?

सदन से लेकर आयोग तक तकरार

दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हो रही नीति आयोग की बैठक में आज कुछ ऐसा हो गया, जो किसी ने सोचा न था. मसला शुर हुआ बजट के दौरान, जब सदन में कई बजट में भेदभाव को लेकर कई राज्यों के गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक से पहले ही किनारा कर लिया था, लेकिन पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि वो इस बैठक में शामिल भी होंगी और अपनी बातों को खुलकर सबके सामने भी रखेंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल तो हो गयी लेकिन कुछ ही दिएर बाद वो बैठक से बाहर भी आ गयी. मीडिया द्वारा जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा ” विपक्ष की ओर से बस मैं आयी थी लेकिन जब मेरी बोलने की बारी आयी तो मुझे बोलने का समय नहीं दिया गया और मेरे माइक को बंद कर दिया गया. मैं आज के बाद से किसी भी बैठक में शामिल नहीं होंगी.” वही दीदी ने ये कि बजट को लेकर विपक्ष की सरकार से तकरार सदन में हो चुकी है. लेकिन फिर भी सरकार को समझ नहीं आ रहा है. बैठक के दौरान सिर्फ मुझे ही नहीं रोका गया बल्कि पश्चिम बंगाल की जनता को रोका गया है. ये अपमान क्षेत्रीय दलों का जो अपनी जनता की आवाज़ बनकर आये थे.

भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों को मिला मौका

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब नीति आयोग की बैठक छोड़कर बाहर आयी तो मीडिया में हलचल हो गयी, वो इसलिए क्यूंकि दीदी ने आरोप लगाया कि असम, गोवा, छत्तीसगढ़, आँध्रप्रदेश और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को 10-20 मिनट बोलने के लिए दिए गए लेकिन जब मेरी बोलने की बारी आयी मैंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पश्चिम बंगाल को केंद्रीय निधि का भुगतान नहीं हुआ का सवाल किया तो उसके थोड़ी ही देर बाद मेरा माइक बंद कर दिया जाता है. और मुझे मात्र 5 मिनट बोलने का वक़्त दिया जाता है. भला सरकार ऐसा कैसे कर सकती है. वही दीदी ने गुस्से में कहा कि “विपक्ष की तरफ से मैं अकेली मुख्यमंत्री हूँ जो इस बैठक में शामिल होने के लिए आयी थी, लेकिन इन लोगों ने मुझे भी बोलने का सही वक़्त नहीं दिया, और हमेशा की तरह अपने एजेंडा पर काम करते आये है.” लेकिन ममता बनर्जी की इस बयान पर केंद्र सरकार ने किनारा करते हुए कहा कि हमने सभी को बोलने का बराबर हक़ दिया, ये कदम विपक्ष का नया तरीका हो सकता है.

कौन हुआ बैठक में शामिल?

आपको बता दे नीति आयोग की बैठक में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी, अरुणाचल से सीएम पेमा खांडू, अरुणाचल के उपमुख्यमंत्री चौना मीन, त्रिपुरा से मुख्यमंत्री माणिक साह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, गुजरात केसीएम भूपेंद्र पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मेघालय से मुख्यमंत्री कोनराड संगमा बैठक में मौजूद रहे. वही पश्चिम बंगाल से विपक्ष की एकमात्र मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल होने आयी थी.