बीते दो महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपने खेत बचाने और एमएसपी की गारंटी देने के लिए नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर डटे हुए हैं। देशभर में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन को हमदर्दी हासिल हो रही है।
गणतंत्र दिवस की किसान परेड के दौरान हुई घटनाओं के बाद आंदोलन को झटका लगा था, लेकिन जल्द ही यह नए सिरे से ज्यादा ताकत के साथ उठ खड़ा हुआ है, खासतौर पर भाजपा की नाक मानी जाने वाली उत्तरप्रदेश की योगी सरकार के सामने चुनौती पेश हो चुकी है, जबकि अगले साल इस राज्य में विधानसभा चुनाव है।
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इस बार के केंद्रीय बजट में कृषि कल्याण की बात तो वित्तमंत्री की ओर से रखी गई लेकिन हर बार की तरह किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को कोई तवज्जो नहीं दी गई। इस मामले में आर्थिक मामलों के जानकार व पत्रकार गिरीश मालवीय ने व्यंग्य भी किया है।
उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा, मैडम आपसे इतनी बड़ी भूल कैसे हो गई! हर साल बजट में अगले साल किसानो की आय दुगुनी करने की बात की जाती थी, इस बार आप भूल गईं।
उन्होंने बजट के बारे में लिखा, देश के सामने कई आर्थिक चुनौतियां खड़ी हैं जिस पर कोई चर्चा नही हो रही है। देश गहरी आर्थिक मंदी की चपेट में है, जीडीपी ग्रोथ माइनस में है।
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वर्ल्ड बैंक कह रहा है कि जिन उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर कोरोना संक्रमण की सबसे बुरी मार पड़ी है, उनमें भारत दूसरे नंबर पर है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स का मानना है कोरोना का सबसे ज़्यादा असर जिस अर्थव्यवस्था पर हुआ है, वह भारत ही है।
साल 2012 में देश में बेरोज़गारी दर दो प्रतिशत थी, आज यह 9.1 प्रतिशत है। राजकोषीय घाटा इस साल लगभग दुगुना हो गया है। यह आर्थिक मंदी शनैः शनै आई है। यदि आप ध्यान से देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार कोरोना संक्रमण के फैलने से पहले ही धीमी होने लगी थी। वित्त वर्ष 2019-20 की जीडीपी गिर कर 4.2 फीसदी पर पहुंच गयी थी, यह पिछले 11 साल का सबसे निचला स्तर था।
गिरीश मालवीय ने कहा, 2016 में नोटबन्दी, 2017 में जीएसटी ओर 2020 के ड्रेकोनियन लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। आज सब कुछ बर्बादी की कगार पर पुहंच चुका है।
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क्या एलआईसी को भी इस साल बेचा जाएगा? नीति आयोग से सरकार ने और भी सरकारी कंपनियों की लिस्ट मांगी है, जिन्हें बेचा जाएगा, जबकि 28 सरकारी कंपनियों की लिस्ट बिक्री के लिए पहले ही तय है।
वित्तमंत्री कह रही हैं कि राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल बजट में राजकोषीय घाटा 3.5% रहने की बात की जा रही थी। अब कहा जा रहा है कि अगले साल भी इसके 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि राज्यों को कहा जा रहा है कि वह अपना वित्तीय घाटा 3 प्रतिशत पर लेकर आए।
और इस तरह से ‘सदी का सबसे अच्छा बजट’ भाषण समाप्त हुआ और नतीजा ठनठन गोपाल निकाला, गिरीश मालवीय ने कहा।
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उन्होंने 100 नए सैनिक स्कूलों को अन्य संस्थाओं के सहयोग से तैयार करने की पेशकश पर भी तंज किया। कहा, सरकार सीधे क्यों नहीं कहती कि ये काम आरएसएस के माध्यम से करेगी।