कोविड-3: दूसरी लहर कब खत्म होगी, क्या और लहरें आना बाकी हैं? जानिए क्या है वैज्ञानिकों का अनुमान

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Computer image of a coronavirus
आशीष आनंद

हालात कैसे हैं, ये बताने की जरूरत नहीं है। सवाल इतना ही है कि यह सब कब तक चलेगा, कब कोविड की यह दूसरी लहर खत्म होगी? दूसरा सवाल यह भी है कि क्या अभी तीसरी, चौथी और आगे की लहरों से भी सामना होना है? इस सवाल का जवाब कोई घटिया सत्ता या उसकी चाटुकार संस्थाएं नहीं देंगी। इसका जवाब अगर कहीं है तो वे हैं इस वायरस के सामने सीना तानकर खड़े संवेदनशील चिकित्सक और वायरस का इतिहास और शक्ल-सूरत-हरकत पर लगातार शोध कर रहे सूक्ष्मजीव विज्ञानी।

‘द लीडर’ ने इन विद्वानों से बातचीत की तो उनका अनुमान पता चला। यहां हम सबके नाम लेकर बात नहीं कर सकते, क्योंकि सरकार कुछ सुनकर सार्थक उपाय करने से ज्यादा कानून व्यवस्था के तहत कार्रवाई करने में विश्वास करती है।

एक सीनियर माइक्रोबायोलॉजिस्ट का कहना है कि अगर उपलब्ध डाटा पर भरोसा किया जाए तो कि महाराष्ट्र और दिल्ली में COVID-19 की दूसरी लहर उतार पर आ गई है। अगले दस दिन में यह दिखाई भी देने लगेगा। लेकिन चुनाव और कुंभ प्रभावित राज्यों (असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड) में अभी लहर उफान की ओर है और तूफ़ान बाकी है। इसके अलावा भी कई प्रदेशों (जम्मू और कश्मीर, गोवा, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, तेलंगाना, उड़ीसा, हरयाणा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, बिहार, राजस्थान, और कर्नाटक) में भी खतरा बरकरार है।

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इस बीच सूक्ष्म जीवविज्ञानियों की जूम मीटिंग में कई अहम बातें सामने आईं। जिसमें बताया गया कि हवा में मौजूद मौजूदा वैरिंएंट से वे लोग ज्यादा सुरक्षित हैं जो हवादार जगहों पर रहते हैं या काम की जगहें पर्याप्त वेंटीलेटेड हैं। वेंटीलेशन का मतलब यह नहीं है कि संक्रमण नहीं होगा। जब वायरस हवा में है तो यह तो होगा ही, लेकिन खुले वातावरण में यह फैल जाता है और उसका लोड बहुत कम होने से दिक्कत नहीं बढ़ती।

उन्होंने अस्पतालों के लिए फ्लोरेंट नाइटएंगल ढांचे पर भी बात की, जो ज्यादातर अस्पतालों में नहीं होता, मिलिट्री हॉस्पिटल में ही इसका ख्याल रखा जाता है। इस मॉडल में खिड़की-दरवाजों की दिशा भी हवादार बने रहने के लिए निर्धारित होती है। इस लिहाज से जब पूछा गया कि जिस तरह उत्तरप्रदेश में पंचायत चुनाव, बंगाल समेत कुछ जगहों पर विधानसभा चुनाव और कुंभ की बात की जाए तो क्या सूरत बनती है।

इस पर माइक्रोबायोलॉजिस्ट का कहना है, ”यूपी पंचायत चुनाव की वजह से अब नए वैरिएंट का वायरस देहात में पहुंच गया है। इसका असर अगले एक महीने में गहराई से दिखाई देंगे। वहां बीमार हाेने वाले तमाम लोगों की तो जांच ही नहीं होगी, इसलिए दिक्कत दिखाई देगी। हालांकि वहां मौतें कम हो सकती हैं, क्योंकि खुला वातावरण होने से वायरल लोड कम रहेगा और दूसरा देहात के लोगों में शारीरिक मेहनत के आदी होने से कारण रोग प्रतिरक्षण क्षमता भी शहरी मध्यवर्ग के मुकाबले ज्यादा होती है।”

इसी तरह कुंभ से वायरस का प्रसार कहां तक होगा, यह भी आने वाले एक महीने में दिखाई देगा। उसके बाद क्या होगा, क्या अनुमान है? इस सवाल पर माइक्रोबायोलॉजिस्ट का अनुमान है कि दूसरी लहर समाप्त होगी और संक्रमण का तूफान झेलने वाली आबादी मौजूद वैरिएंट से लड़ने की क्षमता हासिल कर लेगी। फिर उम्मीद है कि अगले छह महीने तक महामारी से सुकून मिल जाएगा।

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छह महीने बाद क्या होगा? फिर तीसरी लहर से आ सकती है, जो दूसरी की ही तरह होगी। तीसरी लहर के बाद चौथी लहर आएगी, जो संभवत: उतनी खतरनाक न हो। फिर यह एक स्थानिक महामारी के रूप में आती-जाती रहेगी, जैसे तमाम दूसरे वायरसों की वजह से कई बीमारियां फूटती रहती हैं।

कुल जमा बात यह है कि वायरस में बदलाव यानी नए म्यूटेंट एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसे रोका नहीं जा सकता। नए म्यूटेंट के बीच ही संक्रमण फैलाने वाले नए संस्करण या वैरिएंट पैदा होते हैं, काेरोना के साथ भी यही है।

इस मामले में लखनऊ में बीत सालभर से गंभीर कोविड रोगियों के इलाज में लगे वरिष्ठ चिकित्सक कहते हैं, ”हालात भयावह हैं, राजधानी होने के नाते तमाम नेता, मंत्री, नौकरशाहों से ही अस्पतालों को राहत नहीं है। कम गंभीर होने पर भी वे प्राथमिकता में हैं, जबकि पूर्वांचल का भार भी यहीं है और वहां के मरीजों को न कोविड का और न ही किसी अन्य समस्या का इलाज मिल पा रहा है। संसाधनों की कमी जगजाहिर है, तमाम डॉक्टर या चिकित्सा स्टाफ भी इस कमी के चलते मौत के मुंह में जा चुके हैं या फिर जूझ रहे हैं। ऊपर से उनको प्रकारांतर से संपत्ति सीज करने या डिग्री कैंसिल करने की धमकी मिल रही है।”

चिकित्सकों का कहना है कि वायरस संक्रमण के गंभीर नतीजे सामने आ रहे हैं। शरीर खुद ही लड़ने की कोशिश करता है, जिससे कई अंदरूनी नुकसान भी होते हैं। तमाम मरीजों के ब्रेन पर भी इसका असर दिखाई दिया है। क्या उम्मीद है, क्या होगा। इस पर उन्होंने कहा, शायद हर्ड इम्युनिटी ही पैदा होगी, तब कुछ होगा। वायरस कमजोर नहीं होगा, लोग मजबूत होंगे तमाम नुकसान के बाद।

इन अनुमानों से एक ही नतीजा निकलता है, वह यह कि दूसरी लहर भीषण युद्ध है, जिसके बाद पांच-छह महीने का युद्ध विराम होगा। इस समय में वायरस नए हमले की तैयारी करेगा और सरकार को उससे बचाव की तैयारी का बंदोबस्त करने का मौका मिलेगा।

इस बीच अगर चिकित्सकों और वैज्ञानिकों का मशविरा लेकर पर्याप्त अस्पताल, बेड, आईसीयू, आॅक्सीजन, भोजन, दवा, मेडिकल स्टाफ, चिकित्सक तैयार नहीं किए गए, सरकार ने स्वास्थ्य सेवा को पूरी तरह अपने नियंत्रण में लेकर इंतजाम नहीं किया तो तीसरी लहर महासुनामी साबित होगी।

हालांकि छह महीने के युद्ध विराम के बाद उत्तरप्रदेश समेत कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हैं। इस समय को चुनाव प्रचार और स्वास्थ्य सेवा के नाम पर कुछ कर्मकांड में भी गंवाया जा सकता है।

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