कुम्भ में कोविड प्रोटोकाल ध्वस्त, तो बाबाओं से नहीं फैलता कोरोना!

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ज्योति एस हरिद्वार।

मेला प्रशासन के लोग बता रहे हैं कि शाम तक 28 लाख लोगों ने स्नान कर लिया था। गनीमत है इतना ही बता रहे हैं। सवाल ये है कि क्या इतने लोगों की आरटी पीसीआर रिपोर्ट देखी गई? क्या ये मुमकिन भी था? इतनी व्यवस्था ही नहीं थी, कैसे करते! दूसरा सवाल कि जब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष समेत  करीब डेढ़ दर्जन बड़े संत कोरोना पॉजिटिव हैं तो क्या उनके संपर्क में रहने वालों को रोका गया? जवाब साफ है कि ये कैसे कर सकते थे, साधु नाराज हो जाते! अब तो उन्होंने जांच कराने सेे ही मना कर दिया है। सबको अंदेशा है कि पॉजिटिव आने की पूरी संभावना है।

सोमवार को जूना अखाड़े के साथ स्नान क़रने वाले किन्नर अखाड़े के चर्चित महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी घाट पर ही चक्कर खा कर बेहोश हो गए। उन्हें एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्होंने कोविड सैंपल देने से साफ मना कर दिया। उनके आदेश पर प्रशासन उन्हें डेरे में छोड़ आया।
कुम्भ है तो साधुओं का जमघट होगा ही, भक्त भी साथ में चल रहे थे। कोई सोशल डिस्टेनसिंग नहीं। तो क्या हिन्दू आयोजनों से कोरोना दूर रहता है। दक्षिण में चर्चों में संडे प्रेयर हो या मस्जिदों में जुमे की नमाज, वहां तो कोरोना से खौफजदा लोग मारपीट तक कर दे रहे थे।
कोविड की तगड़ी दूसरी लहर ने तबलीगियों की याद दिला दी, जिनके बहाने कई जगह से लोग पकड़े गए। हरिद्वार के बाबाओं से मिलकर मुख्यमंत्री समेत कई दिग्गज नेता पॉजिटिव हो गए। सरकार के प्रेरणास्रोत संघ के प्रमुख भी हरिद्वार दौरा कर आइसोलेशन में चले गए, फिर भी दिव्य भव्य कुम्भ की खातिर आम आदमी की सेहत दांव पर रही।

प्रशासन कुम्भ की तैयारी से लेकर बाकी सारी बातों पर अपने दावे रखता है। हो सकता है रात तक स्नानार्थियों का सरकारी आंकड़ा करोड़ के करीब बताया जाय लेकिन ये भी सच नहीं हो सकता। ब्रह्म कुंड पर सुबह वीआईपी परिवारों के अलावा खड़खड़ी के आश्रमों के टिके लोग और स्थानीय लोगों की भीड़ जरूर थी। 7 बजे घाट खाली करा लिया गया था। उसके बाद दूसरे घाटों पर बहुत कम लोग पहुंचे। ये आंकड़ा तीन लाख तक भी नहीं पहुंचता। बस और ट्रेन से बमुश्किल 20 हज़ार लोग आये होंगे।
कितने संत संक्रमित हैं इसका किसी के पास रिकॉर्ड नहीं है। अखाड़ों में कोरोना की दस्तक से सहमे संतों ने 14 अप्रैल तक कोविड जांच कराने से इन्कार कर दिया है। मेला स्वास्थ्य विभाग भी संतों के रुख को भांप वहां जाने से गुरेज कर रहा है। इस बीच, सोमवार को जूना अखाड़े के छह और संतों की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। अब तक जूना अखाड़े के 12 और निरंजनी अखाड़े के तीन संत संक्रमित हो चुके हैं। कुंभ के पहले शाही स्नान से एक रोज पहले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के अलावा जूना अखाड़े के दो संतों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी। मेलाधिकारी (स्वास्थ्य) डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर ने बताया कि 14 अप्रैल के बाद अखाड़ों में सैंपलिंग बढ़ाई जाएगी।
अव्यस्थाएँ कई जगह देखने को मिली। बैरागी अखाड़े के संत तय समय से ज्यादा घाट पर जमे रहे तो उदासीन अखाड़े के संत गुस्सा हो गए औऱ आधे रास्ते में धरने पर बैठ कर बैरागियों को गरियाने लगे। फिर उनकी मान मनुहार हुई।

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