संविधान 100 करोड़ हिंदुओं को खा जाएगा, यति नरसिंहानंद के इस बयान पर मचा हंगामा

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– विजय शंकर सिंह-

पुलिस ने घृणावादी धर्म संसद के मुख्य आयोजक यति नरसिंहानंद को गिरफ्तार भी कर लिया है और एक अन्य आरोपी वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को पहले ही जेल भेजा जा चुका है। लेकिन संविधान की अवहेलना और निंदा के दुस्साहस का यह भी एक उदाहरण है कि गिरफ्तारी के समय यति नरसिंहानंद ने न केवल भारतीय संविधान बल्कि देश की सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भी बेहद अपमानजनक और अभद्र भाषा में न्यायपालिका की शक्तियों व अधिकार के खिलाफ विषवमन किया। नरसिंहानंद का वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है और उसे देश ही नहीं दुनियाभर में देखा जा रहा है। (Statement Of Yeti Narasimhanand)

इस वीडियो के बाद, एक एक्टिविस्ट शची नेल्ली ने भारत के अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर, हरिद्वार ‘धर्म संसद’ में भड़काऊ बयान और नरसंहार का आह्वान करने वाले नेता यति नरसिंहानंद द्वारा की गई भारत के संविधान और सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ ‘अपमानजनक टिप्पणी’ पर संज्ञान लेने और न्यायालय के अवमानना ​​की कार्रवाई शुरू करने के लिए सहमति मांगी है।

उल्लेखनीय है कि अवमानना वाद दाखिल करने की सहमति भारत के अटॉर्नी जनरल देते हैं। अटॉर्नी जनरल को संबोधित शची नेल्ली के पत्र में कहा गया, “14 जनवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर वायरल हुए विशाल सिंह को दिए गए एक साक्षात्कार में यति नरसिंहानंद, जो अपने मुस्लिम विरोधी नफरत भाषणों के कारण चर्चित हो रहे हैं, ने सुप्रीम कोर्ट और भारत के संविधान के लिए अत्यंत आपत्तिजनक और अपमानजनक बातें कहीं हैं। अटॉर्नी जनरल को इसे देखते हुए, न्यायालय की अवमानना ​​का वाद चलाने की सहमति दी जानी चाहिए।” (Statement Of Yeti Narasimhanand)

शची नेल्ली के पत्र में, इस कथन के पूरे उद्धरण और संदर्भ को इस प्रकार बताया गया है-

“हरिद्वार धर्म संसद में, भड़काऊ भाषण के बारे में हो रही कानूनी कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के मामले में पूछे जाने पर यति नरसिंहानंद ने कहा कि “हमें भारत के संविधान और सर्वोच्च न्यायालय पर कोई भरोसा नहीं है। संविधान इस देश के 100 करोड़ हिंदुओं को खा जाएगा। जो इस संविधान को मानते हैं, वे सब मारे जाएंगे। जो इस न्यायिक प्रणाली, इस राजनीतिक सिस्टम, सेना पर भरोसा करते हैं, वे सभी कुत्ते की मौत मरेंगे।”

उक्त पत्र के अनुसार-

“यति नरसिंहानंद द्वारा की गई यह टिप्पणियां एक संवैधानिक संस्था की महिमा और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में निहित अधिकार को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं, और इस अपमानजनक बयानबाजी के माध्यम से न्यायिक कार्य में हस्तक्षेप करने का यह एक कुत्सित और घृणित प्रयास है। यह संविधान और न्यायालय की अखंडता पर हमला है। संस्था की महिमा को नुकसान पहुंचाने और न्यायालय में भारत के नागरिकों के विश्वास को कम करने का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अराजकता का कारण बनेगा। यह शायद, अब तक के इतिहास में सर्वोच्च न्यायालय पर सबसे शातिर हमला है। इन टिप्पणियों को बिना किसी समाधान के नज़रअंदाज़ करने की अनुमति देना शीर्ष अदालत के अधिकार को कम करने के इस प्रयास को सफल होने देना होगा।” (Statement Of Yeti Narasimhanand)

पत्र में आगे कहा गया है,

“भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत के संविधान का पहला संरक्षक और व्याख्याता है। इस देश के मूलभूत ढांचे के प्रति विश्वास की यह कमी और न्यायालय के अधिकार को यह चुनौती, अदालत की सरासर अवमानना ​​का यह रूप भयावह है। न्यायालय और इसकी क्षमता को कमजोर करने की मंशा बेहद खतरनाक संकेत है। मैंने एजी केके वेणुगोपाल से यति नरसिंहानंद के संविधान और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ उनके घिनौने बयानों के लिए अदालत की अवमानना ​​की कार्रवाई शुरू करने के लिए सहमति मांगी है। भारत की संस्थाओं के अधिकार को कमजोर करने के किसी भी प्रयास से गंभीरता से निपटा जाना चाहिए।”  (Statement Of Yeti Narasimhanand)

 

(लेखक रिटायर्ड आईपीएस व ब्लॉगर हैं, यह उनका निजी नजरिया है)


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