6 घंटे चला दीदी का प्रदर्शन हुआ ख़त्म : क्या है प्रदर्शन के पीछे की कहानी ?

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कोलकाता | चुनाव आयोग द्वारा 24 घंटे के लिए चुनाव प्रचार से बैन करने के फैसले के विरोध में राजधानी कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी का धरना आखिरकार खत्म हो गया। टीएमसी प्रमुख के लगभग तीन घंटे तक चले विरोध प्रदर्शन के दौरान वो शहर के बीचों-बीच धरने पेटिंग बनाती हुई नजर आईं।

आयोग ने बनर्जी की केंद्रीय बलों और तथाकथित धार्मिक भेदभाव वाले बयान को लेकर 24 घंटे के लिए चुनाव अभियान पर प्रतिबंध कर दिया है। इस फैसले की निंदा करते हुए बनर्जी ने कहा था कि वह आयोग के “असंवैधानिक और लोकतांत्रिक निर्णय” के खिलाफ मंगलवार को शहर में धरना देंगी।

बनर्जी ने ट्वीट किया, “चुनाव आयोग के लोकतांत्रिक और असंवैधानिक निर्णयों के विरोध में, मैं कोलकाता में गांधी मूर्ति के पास 12 बजे से बैठूंगी।” तृणमूल प्रमुख मंगलवार को आठ बजे के बाद बारासात और बिधाननगर क्षेत्र में दो रैलियों में हुंकार भरने वाली हैं।

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दरअसल कुछ दिन पहले बंगाल के रायदिघी में एक रैली के दौरान, दीदी का अपने कोर वोट बैंक को लेकर दर्द झलक गया था, जिसके बाद उन्होंने बंगाल के मुसलमानों से किसी भी हाल में नहीं बंटने की अपील की थी। दीदी ने बेहद तीखे तेवर में असदुद्दीन ओवैसी और फुरफुरा शरीफ के इमाम पीरजादा अब्बास सिद्दीकी पर मुस्लिम वोटबैंक में फूट की सियासी साजिश रचने का आरोप जड़ दिया था।

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चुनाव आयोग ने फैसले में क्या कहा था?
ममता बनर्जी पर लगा यह बैन सोमवार रात 8 बजे से लागू है और आज रात 8 बजे यह बैन खत्म होगा। निर्वाचन आयोग ने अपने आदेश में कहा था, ‘आयोग पूरे राज्य में कानून व्यवस्था की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकने वाले ऐसे बयानों की निंदा करता है और ममता बनर्जी को सख्त चेतावनी देते हुए सलाह देता है कि आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के दौरान सार्वजनिक अभिव्यक्तियों के दौरान ऐसे बयानों का उपयोग करने से बचें।’ चुनाव आयोग ने इससे पहले ममता को नोटिस जारी कर इस मामले में स्‍पष्‍टीकरण मांगा था।

समय से पहले पहुंचीं ममता, कोई नहीं था उस वक्त
ममता बनर्जी ने 12 बजे से धरने पर बैठने का ऐलान किया था लेकिन वह समय से पहले ही गांधी प्रतिमा पहुंच गई थी। उस वक्त वहां कोई मौजूद नहीं था। यहां तक कि टीएमसी के दूसरे नेता भी वहां नहीं आए थे। ममता के साथ तब केवल उनके सुरक्षाकर्मी थे जिन्होंने वीलचेयर पर बैठीं ममता को धरनास्थल तक पहुंचाया।

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