कोरोना के कहर के बीच देश में बर्ड फ्लू के H5N8 रूप (स्ट्रेन) की चुनौती मुंह बाएं खड़ी है. कई राज्यों में इसे नियंत्रित करने के लिए लिए पालतू पक्षियों को मारना शुरू कर दिया है. (Bird Flu Corona Period)
केरल इस मामले से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बन चुका है. केरल में इसे राजकीय आपदा घोषित किया है. केरल में फ्लू के कारण करीब 1700 बत्तखों की मौत हो गई है खबरों के मुताबिक़ केरल में मुर्गियों और बत्तखों को मारने का अभियान शुरू कर दिया गया है जबकि हिमाचल, राजस्थान और मध्य प्रदेश में फ्लू के मामले सामने आने के बाद जम्मू कश्मीर ने अलर्ट घोषित कर प्रवासी पक्षियों के नमूने लेने शुरू कर दिए हैं. केरल में पक्षियों के संक्रामक रोग के प्रकोप के बाद पड़ोसी कर्नाटक और तमिलनाडु ने निगरानी बढ़ा दी है और दिशा-निर्देश जारी किए हैं. केरल में संक्रमण की आशंका के चलते हजारों पक्षियों को मारे जाने की योजना बनायी जा रही है. सिर्फ कुट्टनाड क्षेत्र में ही करीब 40,000 पक्षियों को मारे जाने की योजना है. बर्ड फ्लू के संक्रमण के मनुष्यों में फैलने के भय से केरल प्रशासन ने कई जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है. कई जिलों में मांस, मच्छी, अंडे आदि की बिक्री पर रोक लगा दी गयी है.
मध्य प्रदेश के इंदौर में 8 दिन पहले मृत कौओं में बर्ड फ्लू के वायरस की पुष्टि होने के बाद अब से तक शहर में इसी प्रजाति के 155 पक्षी मरे पाए गए हैं. मध्य प्रदेश के इन्दौर में भी 29 दिसंबर में बर्ड फ्लू का पहला मामला सामने आने के बाद जांच में बर्ड फ्लू के वायरस की पुष्टि भी हुई है.
इसके अलावा राजस्थान में झालावाड़, कोटा और बारां के पक्षियों में भी बर्ड फ्लू पाया गया है.
हिमाचल प्रदेश में भी मृत प्रवासी पक्षियों के नमूनों में H5N8 का संक्रमण पाया गया था. पशुपालन विभाग के मुताबिक इलाके में अबतक 2700 प्रवासी पक्षी मृत मिले हैं. उनके नमूनों की जांच की जा रही है.
उन्होंने बताया, ”शहर में अब तक कौओं के अलावा किसी भी अन्य प्रजाति के पक्षी में बर्ड फ्लू के एच5एन8 वायरस का संक्रमण नहीं मिला है.” शर्मा ने बताया कि शहर के अलग-अलग इलाकों से 120 जीवित मुर्गे-मुर्गियों और सिरपुर तालाब क्षेत्र के 30 प्रवासी पक्षियों की बीट के नमूने लेकर इन्हें बर्ड फ्लू की जांच के लिए भोपाल की एक प्रयोगशाला में भेजा गया है. इनकी जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.
फिलहाल देश के किसी भी हिस्से में बर्ड फ्लू से मनुष्य के संक्रमित होने का कोई मामला सामने नहीं आया है. हालांकि इससे मिलते जुलते लक्षणों वाले मनुष्यों की जांच के लिए सघन अभियान चलाया जा रहा है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने भी सभी राज्यों को पत्र लिखकर बर्ड फ्लू संक्रमण की निगरानी के लिए समितियां गठित करने को कहा है.
एवियन इन्फ्लुएंजा या एवियन फ्लू का पहला मामला 1997 में हांगकांग में सामने आया था. बर्ड फ्लू के नाम से जाने जाने वाले इस वायरस का प्रसार संक्रमित पक्षी को खाने के बाद आसानी से मनुष्य में हो जाता है. संक्रमित व्यक्ति में खांसी, बुखार, जुकाम, गले में खराश और बदन दर्द जैसे लक्षण पाए जाते हैं. इसका ख़ास स्ट्रेन मनुष्यों के लिए जानलेवा साबित होता है.
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