द लीडर | स्कूल सर्विस कमीशन नियुक्ति घोटाले में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के मंत्रियों का नाम आने के बाद राज्य में सियासी घमासान एक बार फिर से शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एसएससी नियुक्ति घोटाले पर मचे बवाल को लेकर पूर्व की सरकार पर हमला किया. ममता बनर्जी ने कहा कि लेफ्ट के शासनकाल में सरकारी नौकरियों में नियुक्ति की प्रक्रिया के समय काफी गड़बड़ी होती थी. हम उनके शासनकाल के दौरान बरती गई सभी अनियमतियों को जल्द उजागर करेंगे. सीएम ममता बनर्जी ने इस मामले को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा, लेकिन बीजेपी केंद्रीय एजेसिंयों का गलत इस्तेमाल कर रही है.
ममता बनर्जी का बयान
मुख्यमंत्री ने झाड़ग्राम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- भाजपा देश में तुगलकी शासन चला रही है और देश को बांटने की कोशिश कर रही है. वे केंद्रीय एजेंसियों को नियंत्रित कर रहे हैं और उनका इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध के लिए कर रहे हैं. ममता ने इस दौरान दिल्ली में 14वीं सदी में मुस्लिम शासक मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन तक का जिक्र किया और मोदी सरकार से उसकी तुलना की.
मुख्यमंत्री ने शिक्षक भर्ती घोटाले में अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा कि नियुक्तियों में विसंगतियों को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है. अगर किसी ने कुछ गलत किया है, तो कानून अपना काम करेगा। किंतु, यह दुष्प्रचार अभियान बंद होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य में पूर्ववर्ती वाममोर्चे की सरकार के दौरान एक कागज के टुकड़े पर नाम लिखकर देने से ही नौकरी मिल जाती थी. मैं इन अनियमितताओं का जल्द खुलासा करूंगी.
खंडपीठ ने इस भर्ती को बताया सार्वजनिक घोटाला
दरअसल ये पूरा मामला स्कूल सेवा आयोग की 2016 के पैनल में शिक्षण, गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली से जुड़ा हुआ है. जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस एके मुखर्जी की खंडपीठ ने इस भर्ती को सार्वजनिक घोटाला करार दिया. साथ ही खंडपीठ ने एकल पीठ के जज अभिजीत गांगुली के फैसला को सही ठहराया और उनके आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. आपको बता दें कि एकल पीठ ने इन नियुक्तियों में हुई धांधली की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा था. जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने दो जजों की खंडपीठ में याचिका दायर की थी. अब खंडपीठ ने भी एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखते हुए नियुक्ति में हुई धांधली की जांच सीबीआइ से ही कराने का निर्देश दे दिया.