द लीडर | महाराष्ट्र सियासत में बीते दस दिनों में देखते ही देखते तख्ता पलट हो गया है। बीते ढाई सालों से महाराष्ट्र सत्ता की कुर्सी पर बैठे उद्धव ठाकरे ने कल सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट करवाने के फैसले के कुछ ही देर बाद अपने पद से इस्तीफा देदिया है। उनके इस्तीफे के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज़ हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने सभी अटकलों को किनारे कर दिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने यह ऐलान किया है कि महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे होंगे। गौरतलब हो कि एकनाथ शिंदे बागी नेताओं के मुखिया थे और सभी विधायकों को दल बदल करवाने में उनका सबसे बड़ा हाथ था। उद्धव ठाकरे के करीबी रहे एकनाथ शिंदे को बगावत करने का फल मिला है और वह महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में नए सियासी सफर की शुरुआत करने जा रहे हैं।
लाइव आकर उद्धव ठाकरे ने दिया इस्तीफा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने एक फेसबुक लाइव किया. जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफा देने का ऐलान किया। उद्धव ने लोगों से खिताब करते हुए कहा कि मैं अपना पद छोड़ रहा हूं, फ्लोर टेस्ट का कोई मतलब नहीं है। मेरे पास शिवसेना है। जिसे मुझसे कोई छीन नहीं सकता है। उद्धव ने कहा कहा कि जिन लोगों को बहुत कुछ दिया उन्होंने मेरा साथ छोड़ दिया। लेकिन जिनको कुछ नहीं दिया वह मेरे साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि कल शिवसैनिकों का खून बहे और वह सड़कों पर उतरें। इस्लिए मैं इस कुर्सी को त्याग रहा हूं।
शिवसेना को बचाना सबसे पहला काम
जब उद्धव ठाकरे ने इस्तीफे का ऐलान किया, तो उस दौरान उन्होंने कई बार बाला साहेब ठाकरे का नाम लेते हुए ये कहा कि ‘आप लोगों ने शिवसेना प्रमुख के बेटे को सीएम पद से हटाने की पूरी कोशिश की, अब मैनें सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। अब आप लोगों को खुशी मिल गई होगी।’ यहां पर साफ-साफ नजर आ रहा था कि उद्धव ठाकरे को भलीभांति पता है, महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी तो जा चुकी है, लेकिन अब शिवसेना को बचाना ही उनका पहला काम होगा। यही कारण है कि अपने संबोधन में वो बार-बार बाला साहेब ठाकरे का नाम ले रहे थे।
I had come (to power) in an unexpected manner and I am going out in a similar fashion. I am not going away forever, I will be here, and I will once again sit in Shiv Sena Bhawan. I will gather all my people. I am resigning as the CM & as an MLC: Shiv Sena leader Uddhav Thackeray pic.twitter.com/dkMOtManv3
— ANI (@ANI) June 29, 2022
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बागी विधायकों ने कब क्या किया
बीते 21 जून 2022 से लगातार महाराष्ट्र की सियासत पर सबकी नजरें थी। ऐसे में सबसे ज्यादा सवाल ये उठ रहे थे कि क्या महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बना लेगी? क्या उद्धव ठाकरे अपनी सरकार बचा लेंगे? हालांकि उद्धव ठाकरे ने सरकार बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहे। इस दौरान एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने लगातार बाकी तेवर अपनाएं हुए थे और इस दौरान इनका संख्या बल भी बढ़ता ही चला गया।
पहले सूरत और फिर गुवाहाटी के होटलों में पहुंच कर महाराष्ट्र में उद्धव सरकार को पस्त करने के दावें और ज्यादा मजबूत होने लग गए थे। ऐसे में बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों को इसकी भनक लग गई कि उद्धव सरकार अल्प मत में आ चुकी है। शिंदे गुट के विधायकों का इस मामले में कहना है कि उद्धव ठाकरे ने उनके ही विधायको से दूरी बना ली थी और इसके बाद ही ये नराजगी देखने को मिली है।
संजय राउत क्या बोले
उद्धव ठाकरे के पद से इस्तीफा देने के बाद कई सियासी लीडरान के बयान सामने आए। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने बड़ी सादगी घरे अंदाज में पद त्यागा है। हमने एक सभ्य और संवेदनशील मुख्यमंत्री को आज खो दिया है। संजय राउत ने कहा कहा कि धोखाधड़ी का अंत सही नहीं होता है। यह शिवसेवा की जीत की शुरूआत है। लाठिया खाएंगे, जेल भी जाएंगे लेकिन बाला साहेब की शिवसेना दहकती रहेगी।
2019 की वो चूक लेकिन इस दफा
2019 में देवेंद्र फडणवीस से एक राजनीतिक चूक हुई थी जिसकी टीस उनके मन मे थी, 1 जून 2022 मौका था महाराष्ट्र में शतरंज टूर्नामेंट के उद्घाटन का इस मौके पर उन्होंने कहा की खेल को अच्छे से खेलो की विरोधी को आपकी चाल की भनक तक न लगे और हुआ भी वही। फडणवीस 1 साल पहले से ऑपरेशन कमल 2.0 पर काम कर रहे थे और शिवसेना को भनक तक नहीं लगी और उन्होंने साबित कर दिया की वो महाराष्ट्र की सियासत के नए महारथी है, जिनमे पवार जैसे दिग्गज को मात देने की कला है फिर उद्धव क्या चीज हैं।
बीजेपी इस बार अपना हर कदम फूंक फूंक कर रख रही थी, सारे खेल के पीछे वो थी लेकिन वो पर्दे के सामने तब तक नहीं आना चाहती थी जब तक उसे ये न लग जाए की अब सरकार अल्पमत में आ गई है और उसके गिरने की संभावना प्रबल है। इसलिए देवेंद्र लगातार बीजेपी अध्यक्ष और अमित शाह के संपर्क में बने रहे लागातर उनको हर पल का अपडेट देते रहे और सही समय का इंतजार करते रहे।
शिवसेना में बगावत
इतना सब कुछ होने के बाद बीजेपी सिर्फ ये कहती रही की ये शिवसेना का अंदरूनी मामला है। साथ ही बागी विधायकों को भी ये नसीहत दी गई थी की आपको शिवसेना और बाला साहेब के बार मे कुछ भी गलत नहीं बोलना है। क्योंकि देवेन्द्र को पता था की पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाकर शिवसेना बाग़ी विधायकों के खिलाफ एक्शन लेगी। लेकिन यहाँ भी फडणवीस ने शिवसेना को मात दे दी। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान फड़नवीस केवल एक बार निकले और उज्जैन में महाकाल के दर्शन किये। बाक़ी पूरे समय वो अपने मुंबई स्थित सागर बंगले से अपने कोर टीम के सदस्यों आशीष शेल्लार, प्रवीण दरेकर के साथ शतरंज की चाल चलते रहे।
शिंदे लेंगे डिप्टी सीएम पद कि शपथ
शिंदे में लीडरशिप के गुण उनकी यूएसपी है। दरअसल, उन्होंने सड़क से सत्ता तक का संघर्ष देखा है। लीडरशिप के इन्हीं गुणों के कारण बागी विधायकों को पूरा विश्वास हो चला था कि शिंदे ने उद्धव सरकार से हाथ खींचा है तो वे अपने उदृेश्य में जरूर सफल होंगे। यही कारण रहा कि एक एक करके कई विधायक सूरत के रास्ते गुवाहाटी पहुंच गए थे। बगावत कर बीजेपी के साथ आने वाले एकनाथ शिंदे अब बतौर मुख्यमंत्री महाराष्ट्र की सियासत में सबसे एहम किरदार बन गए हैं।
केवल दो नेता ही पूरे पांच साल तक रह पाए सीएम
महाराष्ट्र की राजनीती खासी चुनौतीपूर्ण रही है। केवल दो ही मुख्यमंत्री आज तक राज्य में ऐसे रहे हैं जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। कांग्रेस के वसंतराव नाइक और बीजेपी देवेंद्र फडणवीस ही ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने पूरे पांच साल मुख्यमंत्री कार्यालय संभाला है।
कांग्रेस वंसतराव नाइक के नाम राज्य में सबसे लंबे तक सीएम पद पर बने रहने का रिकॉर्ड कायम है। वह 5 दिसंबर 1963 से 20 फरवरी 1975 तक (11 साल 78 दिन) राज्य के मुख्यमंत्री रहे। इसके साथ ही वह इकलौते ऐसे नेता हैं जो अपना पहला कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा कर लगातार दूसरी बार सीएम पद पर बैठे। देवेंद्र फडणवीस भी लगातार दूसरी बार सीएम बने लेकिन सिर्फ चार ही दिन इस पद पर रह सके।