द लीडर | रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी के कुछ हिस्सों को गिराने की आशंका जताते हुए समाजवादी पार्टी नेता आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. आज़म के वकील निज़ाम पाशा ने जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन बेंच से कहा- ज़मानत देते समय इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से लगाई गई शर्त के मुताबिक यूनिवर्सिटी की करीब 13 हेक्टेयर ज़मीन जिला प्रशासन ने अपने कब्ज़े में ले ली है.
Rampur UP| As per orders passed by HC, the custodian dept, which became enemy property is to be taken back. It is in university premises spread over an area of 13 acres. The process should be completed by June 30: Ravinder Kumar Mander, DM Rampur on demolition drive at Jauhar Uni pic.twitter.com/plNNrPs9t7
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 20, 2022
उन्होंने ये भी कहा, ज़मानत देते वक़्त ऐसी शर्त थोपना ग़लत है अब परिसर की दो इमारतें गिराने की तैयारी है. बेंच ने कहा कि याचिका को लिस्ट कराने के लिए रजिस्ट्रार के सामने रखें. दरअसल, रामपुर के जिलाधिकारी रविंदर कुमार मंदार ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि, हाई कोर्ट ने निर्देश जारी किए हैं जिसके तहत जो शत्रु संपत्ति है उसे कस्टोडियन विभाग को वापस दिया जाए. जौहार विश्वविद्यालय में 13 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर वापस लिया जाना है जिसके लिए कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि 30 जून तक इस क्रिया को पूरा करना है.
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याचिका में क्या कहा गया ?
इस याचिका में कहा गया है कि आजम खान को ज़मानत देते समय इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से लगाई गई शर्त के मुताबिक जौहर यूनिवर्सिटी की करीब 13 हेक्टेयर ज़मीन प्रशासन ने कब्ज़े में ली है. सपा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में कहा है कि राज्य सरकार वहां स्थित बिल्डिंग को गिरा सकती है. यूपी सरकार को ऐसा करने से रोका जाए.
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर आजम खान के ड्रीम प्रोजेक्ट मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन को शत्रु संपत्ति मानते हुए जिला प्रशासन ने कब्जा करना शुरू कर दिया है. जिला प्रशासन के मुताबिक यूनिवर्सिटी के अंदर 13.8 हेक्टेयर शत्रु संपत्ति की जमीन पर पिलर लगाकर तार से हदबंदी शुरू कर दी गई है.
आजम खान के खिलाफ दर्ज हुई थी प्राथमिकी
बता दें, आजम खान समेत कई के खिलाफ शत्रु संपत्ति हड़पने और करोड़ों रुपये से ज्यादा सार्वजनिक पैसे का गलत इस्तेमाल करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एफआईआर में ये आरोप लगाया गया था कि, भारत विभाजन के दौरान इमामुद्धीन कुरैशी नामक एक शख्स पाकिस्तान चला गया था और उसकी जमीन को दुश्मन की संपत्ति के तौर पर दर्ज किया गया था लेकिन आजम खान ने कई लोगों के साथ मिलकर उस पर कब्जा कर लिया.
27 महीने बाद जेल से बाहर आए
आजम आजम खान 20 मई को जेल से रिहा हो गए थे. वे 27 महीने से सीतापुर जेल में बंद थे. उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आजम खान की जमानत की शर्तें ट्रायल कोर्ट तय करेगा और सामान्य जमानत के लिए आजम को समुचित और सक्षम अदालत में दो हफ्ते के भीतर अर्जी लगानी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि ट्रायल कोर्ट से रेगुलर बेल मिलने तक अंतरिम आदेश लागू रहेगा. उधर, आजम खान सोमवार को लखनऊ पहुंचे. उन्होंने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ विधायक पद की शपथ ली.