अफगानिस्तान: लेक्चरर फिरोज़न सफी की गोली मारकर हत्या

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तालिबानी दमन के खिलाफ सार्वजनिक प्रदर्शनों में भाग लेने वाली चार अफगान महिलाओं को गोली मारकर खून से लथपथ लाशों को मजार-ए-शरीफ में गड्ढे में फेंक दिया गया। बरामद होने वाली लाशों के पास चेतावनी भी लिखी मिली है, ”इनको इनके किए की सजा दी गई है”। चारों महिलाओं में एक की पहचान 30 वर्षीय फिरोजन सफी के रूप में हुई है, जो उत्तरी अफगान प्रांत की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की लेक्चरर थीं। (Firozhan Safi Shot Dead)

फिरोजन सफी के पिता अब्दुल रहमान सफी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि वह 10 दिन पहले एक फोन कॉल आने के बाद जरूरी दस्तावेजों के साथ घर से निकली थीं।

उन्होंने कहा, ‘फिरोजन ने परिवार को बताया था कि वह एक मानवाधिकार संगठन की मदद से विदेश जा रही हैं। लेकिन घर छोड़ने के दो घंटे बाद हमारा फिरोजन से संपर्क टूट गया। को खैर-खबर न मिलने पर शहर के केंद्रीय अस्पताल गए और अज्ञात शवों की जानकारी मिलने पर अस्पताल के मुर्दाघर में पहुंचे, फिरोजन का शव मिला, उसके शरीर पर कई गोलियों के निशान थे।’

किसी भी समूह ने हत्याओं की जिम्मेदारी नहीं ली है। अलबत्ता, महिलाओं की किस्मत में तालिबान के विरोध पर जान कितनी जोखिम में हो सकती है, इस हत्याकांड ने उनको एक भयावह संदेश दे दिया है।

फिरोजन तो महिला अधिकारों के लिए काफी मुखर ही थीं, उन्होंने महिला शिक्षा से लेकर उनके रोजगार की मांग पर होने वाले प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की थी। (Firozhan Safi Shot Dead)

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ह्यूमन राइट्स वॉच की सहयोगी महिला अधिकार निदेशक हीथर बर्र ने ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ से कहा, टारगेट करके होने वाली हत्याओं में महिला कार्यकर्ताओं के मारे जाने से पहले हमें अहसास था कि वे प्रदर्शनकारी महिलाओं को डराने-धमकाने के बाद ट्रैक कर रहे थे। यह बहुत ही डरावनी स्थिति है।

अगस्त में तालिबान ने जब काबुल पर नियंत्रण कर लिया, तभी से साफ हो गया था कि दो दशकों में मिले महिलाओं को अधिकार छीन लिए जाएंगे। भले ही तालिबान ने महिलाओं के अधिकारों के सम्मान की मंशा जताई हो, लेकिन सच यही है कि उनके काम करने का अधिकार, घर से बाहर निकलने और खेल में भाग लेने का अधिकार, शिक्षा हासिल करने के अवसरों को बंद कर दिया गया है। यह सब शरिया कानून के हवाले से किया जा रहा है। सार्वजनिक प्रदर्शनों में शामिल होने वाली महिलाओं के साथ मारपीट की गई और अब यह नौबत आ गई। (Firozhan Safi Shot Dead)

ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि महिला सहायता कर्मियों पर तालिबान की सख्त बंदिशें गंभीर मानवीय संकट को बढ़ा रही हैं, जिससे अफगान महिलाओं, लड़कियों और महिला मुखिया वाले घरों तक जीवन रक्षक सहायता नहीं पहुंच पा रही है। विश्व खाद्य कार्यक्रम के सर्वेक्षणों में पाया गया है कि 10 में से नौ परिवारों को खाने के लिए पर्याप्त खाना नहीं मिल पा रहा है, यहां तक कि सभी अफगानों में से एक तिहाई गंभीर रूप से भूखे हैं।

देश आर्थिक पतन की कगार पर है, अधिकांश विदेशी सहायता निलंबित है। हालांकि विदेश से संभावित मदद के लिए अफगान नकद भंडार में 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा जमा हो चुका है।

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हीथर बर्र ने कहा, “तालिबान नेता मांग कर रहे हैं कि दानकर्ता अफगानिस्तान के लिए सहायता निधि को अनलॉक करके संकट का समाधान करें, जबकि तालिबान की गलत नीतियां ही उन लोगों की मदद को रोक रही हैं, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।”

“तालिबान को तुरंत सभी सहायता कर्मियों, महिलाओं और पुरुषों को अपना काम पूरी तरह से करने की अनुमति देनी चाहिए या उनकी जान को जोखिम में डालना चाहिए।”

रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के एक दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा गया है कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से केवल तीन में अधिकारियों ने महिला सहायता कर्मियों को बिना शर्त अपना काम करने की लिखित अनुमति दी है, जबकि 16 में उन्हें बिना पुरुष संरक्षक के कार्यालय छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कई महिला सहायता कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों तक ही सीमित कर दिया गया। उन्हें भोजन वितरण, पानी और स्वच्छता और लिंग आधारित हिंसा से सुरक्षा सहित कुछ बेहद जरूरी मानवीय कार्यों से रोक दिया गया।

“महिला श्रमिकों के बिना यह काम लगभग असंभव है। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर नियंतत्रण के बाद से तालिबान ने लिंग आधारित हिंसा को रोकने और उसका जवाब देने के लिए व्यवस्थित रूप से स्थापित प्रणालियों को नष्ट कर दिया है,” हीथर ने कहा। (Firozhan Safi Shot Dead)

उन्होंने बच्चों को बेचने के लिए मजबूर परिवारों की मीडिया रिपोर्टों की बढ़ती संख्या का हवाला दिया – “अमूमन लड़कियां – जाहिर तौर पर शादी के लिए, यहां तक ​​​​कि बहुत कम उम्र में, जिंदा रहने के लिए खाना की जरूरत पूरा करने को या कर्ज चुकाने के लिए”।

ताकतवर समाचार एजेंसियां ऐसी खबरों का प्रसार कर रही हैं, लेकिन उनको बचाने के प्रयास में कोई योगदान नहीं दे रहीं, यह बात तमाम लोगों को चुभ रही है।

अफगान शिक्षिका और LEARN की संस्थापक, पश्ताना ज़ल्माई खान दुर्रानी, जो लड़कियों को ऑनलाइन पढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, ने शुक्रवार को सीएनएन की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें एक नौ वर्षीय अफगान लड़की, जिसे दो हजार डॉलर में खरीदा गया, उसको शादी के लिए घसीटते हुए फिल्माया गया।

दुर्रानी ने ट्वीट किया, “ऐसा होने देने के लिए पत्रकारों पर शर्म आती है।” “अपने दर्शकों के लिए आपने सचमुच एक मासूम बच्ची की इस तरह शादी होने दी? पत्रकारों के कनेक्शन होते हैं, लोगों को जानते हैं, उन्हें संगठनों से जोड़ते हैं, वहां काम करने वाले संगठनों को इसकी रिपोर्ट करते हैं। लेकिन नहीं, अपने गिद्धों के विचारों के लिए आपने ऐसा होने दिया।” (Firozhan Safi Shot Dead)

उन्होंने ऑस्ट्रेलियन मीडिया से कहा, क्या हमारा दुख तभी रिपोर्ट करने के काबिल है, जब उस दुख की चरम सीमा हो, दुनिया को चौंकाने के लिए इसका इंतजार किया जाएगा?


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