एक्ट्रेस सारा खान ने खुलेआम यह कहकर उड़ाया मुस्लिम मर्दों का मजाक

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Actress Sara Khan Muslim

बॉलीवुड अभिनेत्री सारा खान ने खुलेआम मंच पर पूरे हंसी-ठट्टे के साथ बुर्का (हिजाब) के इस्तेमाल को लेकर इस्लामिक मान्यता का मजाक उड़ाया और मुस्लिम मर्दों को इसकी नसीहत के लिए काफी लताड़ा। यह बात भी इस अंदाज में कही गई कि किसी को भी नागवार गुजरे। (Actress Sara Khan Muslim)

अभिनेत्री खुद भी एक मुस्लिम हैं। लेकिन वीडियो में राखी सावंत के साथ मंच साझा करने के दौरान उन्होंने इस्लाम, कुरान और सुन्नत से निर्धारित मूल्यों पर सवाल उठाते हुए मजाक उड़ाते देखा जा सकता है। उनकी बात पर जमकर तालियां भी बजीं। वे अपनी दलील को भी संजीदगी से नहीं रखतीं, बल्कि तालियाें के बीच इस मुद्दे पर अपनी राय रखना जारी रखती हैं। हालांकि सारा अपने रहन-सहन से पहले भी ट्रोल होती रही हैं। उनके इंस्ट्राग्राम पर तस्वीरों को लेकर काफी ट्रोल किया गया है।

ताजा वीडियो में सारा ने जो कुछ अशालीन तरीके से कहा, उसको लेकर मुस्लिम समुदाय में काफी नाराजगी है।

वीडियो में सारा कहती हैं- “मुस्लिम समुदाय में आमतौर पर महिलाओं को बुर्का पहनना सिखाया जाता है, लेकिन मुस्लिम समुदाय कभी भी पुरुषों को अपनी आंखें बंद करने और न देखने के लिए नहीं कहता है। मैं अगर आधी नंगी हो जाऊं तो मुस्लिम समुदाय को अपनी आंखें ढंक लेनी चाहिए न कि उधर देखना चाहिए। हम वो नहीं हैं जो सिर्फ खुद को मुसलमान साबित करने के लिए बुर्का पहनेंगे, हम जो चाहें पहनेंगे, जब हम आधे नग्न दिखें तो आपको हमारी ओर नहीं देखना चाहिए।” (Actress Sara Khan Muslim)

वीडियो में उन्होंने और क्या कुछ कहा, खुद सुनिए-

पर्दा और बदनज़री पर इस्लामिक नज़रिया

‘इंडियन मुस्लिम प्रो’ पर इस मामले पर तफ्सील से लिखा गया है।

पर्दा और बदनज़री​ पर लिखा है, ”आज जहां मुआशरे में हज़ार बुराइयां फैली हुई हैं उनमें एक बहुत बड़ी बुराई ये भी है की मर्द का एक नामहरम औरत को देखना और एक औरत का नामहरम मर्द के लिए सजना संवरना और बेपर्दगी से घूमना, लोग इसे फैशन और मॉडर्न समाज का हिस्सा मानते हैं। मगर अल्लाह के यहां ये कसूर छोटा नहीं बल्कि बहुत बड़ा है। अल्लाह तआला क़ुरआन में फरमाता है कि ​मुसलमान मर्दों को हुक्म दो कि अपनी निगाहें कुछ नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें। मुसलमान औरतों को हुक्म दो कि अपनी निगाहें कुछ नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें और अपने दुपट्टे अपने गिरेहबानों पर डाले रहें और अपना श्रंगार ज़ाहिर ना करें”। (Actress Sara Khan Muslim)


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पारा 18, सूरह नूर, आयत 30-31 में पर्दे का पूरा बयान नाज़िल फरमाया है कि किससे पर्दा करना है और किससे नहीं। ये भी कि पर्दा सिर्फ औरत ही नहीं करेगी बल्कि मर्द का भी किसी नामहरम को देखना जायज़ नहीं है। वो औरतें जो बेहिजाब सड़कों, बाज़ारों, मेलों-ठेलों, मज़ारों या कहीं भी घूमती फिरती हैं वो गुनहगार हैं। उन पर तौबा वाजिब है और अगर इंकार करे जब, तो काफिर है।

पारा 22,सूरह अल अहजाब, आयत 59 में फरमाया गया है कि ​ऐ महबूब अपनी बीवियों और अपनी साहबज़ादियों और मुसलमान औरतों से फरमा दो कि वो अपनी चादरों का एक टुकड़ा अपने मुंह पर डाले रहें, ये उनके लिए बेहतर है कि ना वो पहचानी जाएं और ना सताई जाएं। अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान है।

पारा 22, सूरह अल अहजाब, आयत 33 में इसका शाने नुज़ूल ये है कि कुछ मुनाफिक़ मुसलमान औरतों को रास्ते में छेड़ा करते थे, जिस पर ये आयत उतरी कि अल्लाह ने साफ फरमा दिया कि अपनी पहचान छिपाकर चलेंगी तो न पहचान होगी और न कोई उन्हें छेड़ेगा, फिर इरशाद फरमाता है कि ​और अपने घरों में ठहरी रहो और बेपर्दा न रहो। (Actress Sara Khan Muslim)

हिदाया, जिल्द 4, सफा 424 में हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं, ‘​अजनबी औरत को शहवत से देखने वालों की आंख क़यामत के दिन आग से भर दी जाएगी’।

मिश्कात, सफा 270 में कहा गया है, ‘​जो गैर औरत और मर्द एक दूसरे को देखें तो दोनों पर अल्लाह की लानत है’​।

अबु दाऊद, जिल्द 2, सफा 146 में ​मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम, बाज़ दफा गैर औरत पर अचानक नज़र पड़ जाती है तो? आप फरमाते हैं, ‘अपनी नज़रें फेर लिया करो, इस पहली नज़र पर गिरफ्त नहीं लेकिन दूसरी नज़र पर है’​।

अबु दाऊद, जिल्द 2, सफा 147 में कहा गया है, पहली नज़र का मतलब कोई यह ना समझे कि अब एक ही नज़र में जी भरके देख लेंगे, बल्कि अगर चेहरे पर ज़रा भी नज़र ठहरी तो भी कसूरवार ठहरेगा। गैर महरम को देखना आंखों का ज़िना है उसकी तरफ जाना पैरों का ज़िना है। कानों से उसकी बात सुनना कानों का ज़िना है, ज़बान से उससे बात करना ज़बान का ज़िना है, हाथों से उसको छूना हाथों का ज़िना है और दिल में उससे नाजायज़ मिलाप की बात सोचना ये दिल का ज़िना है​। (Actress Sara Khan Muslim)

‘​औरत छिपाने की चीज़ है जब वो बाहर निकलती है तो शैतान उसे झांक कर देखता है’​, यह तिर्मिज़ी, जिल्द 1, सफा 140 में कहा गया है।

कुल जमा इस्लामी शरीयत है कि शैतान इंसान के जिस्म में खून की तरह बहता है और मौका ढूंढता रहता है कि कब वो इंसान को अपने जाल में फांस ले। इसलिए एहतियात में ही भलाई है। भाभी का देवर से, बहनोई का अपनी साली से, चचाज़ाद मामूज़ाद खालाज़ाद फूफीज़ाद भाईयों का उनकी चचेरी ममेरी खलेरी फुफेरी बहनों से, ससुर अगर जवान है तो बहू को पर्दे का हुक्म है। इसी तरह और अगर सास जवान है तो दामाद से पर्दा है। (Actress Sara Khan Muslim)

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