द लीडर : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना भारत दौरे पर हैं. गुरुवार को वह अजमेर स्थित दरगाह ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ पर पहुंचीं. जहां बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के हक़ में दुआ की. दरगाह पर हाज़िरी के बाद शेख़ हसीना ने कहा कि बांग्लादेश की आज़ादी की ख़ातिर क़ुर्बानी देने वाले हिंदुस्तानी भाईयों और सैनिकों को याद करना हमारे के लिए फ़ख्र की बात है. (Sheikh Hasina Ajmer Dargah)
शेख़ हसीना चार दिवसीय भारत यात्रा पर हैं, जहां उन्होंने अपने समकक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की. और विपक्षी नेता राहुल गांधी से मिली हैं. हसीना ने भारत और बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों को और मधुर बनाने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की है.
#WATCH | Bangladesh PM #SheikhHasina arrives at #AjmerSharifDargah in Rajasthan. pic.twitter.com/65kDEBAWGD
— The Times Of India (@timesofindia) September 8, 2022
दरअसल, बांग्लादेश के वजूद में भारत का सबसे बड़ा योगदान है. 1971 के बांग्ला मुक्ति संग्राम के लिए भारतीय सैनिकों ने बड़ी शहादत दी है. यही वजह है कि जब प्रधानमंत्री शेख़ हसीना भारत पहुंचीं, तो उन्होंने अपनी दुआओं में भी उन सैनिकों को शामिल किया है, जिन्होंने उनके देश के लिए क़ुर्बानियां दीं.
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बांग्लादेश सरकार में मंत्री ज़ुनैद अहमद पलक ने ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह पर हाज़िरी की तस्वीरें अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर की हैं. इस कैप्शन के साथ कि ‘बांग्लादेश की अवाम के लिए दुआ.’
प्रधानमंत्री के दरगाह पर हाज़िरी से पहले वहां सुरक्षा व्यवस्था के कड़े बंदोवस्त किए गए थे. और प्रोटोकॉल के तहत दरगाह परिसर को आम ज़ायरीन से खाली करा लिया गया था. यहां तक कि दरगाह का बाज़ार भी पूरी तरह से बंद रहा. शेख हसीना अपने प्रतिनिधि मंडल के साथ दरगाह पहुंचीं और दुआ की.
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के दौरे के दौरान उन्हें मुलाक़ात के लिए आमंत्रित न करने पर निशाना साधा है. ममता बनर्जी ने कहा कि मैं उनसे मिलने को लेकर काफ़ी उत्सुक थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
आपको बता दें कि शेख़ हसीना बांग्लादेश की दसवीं प्रधानमंत्री हैं. और उनके शासनकाल में बांग्लादेश आर्थिकतौर पर काफ़ी सक्षम हुआ है.