जिस म्यांमार ने खदेड़े रोहिंग्या, वहां मस्जिद बांट रही मुफ्त खाना

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म्यांमार के ऊपर यह ऐतिहासिक दाग है कि वहां से रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार किया गया और उन्हें भूखे-प्यासे दरबदर होने को मजबूर कर दिया गया। बीते दो सालों में जहां कोरोना वायरस की महामारी के चलते रोहिंग्याओं को किसी भी देश में न तो इंसान बतौर इज्जत बख्शी गई और न ही उनको नागरिक बनाकर अपनाने की कोशिश हुई। यहां तक कि कई देशों के लिए तो महामारी ही बहाना बन गई, जिससे रोहिंग्याओं को पनाह न देना पड़े। ठीक यही वह समय है, जब म्यांमार में एक मस्जिद कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे जरूरतमंद लोगों को मुफ्त खाना बांट रही है। (Mosque Distributing Food Myanmar)

एशिया के सबसे गरीब देशों में में शुमार म्यांमार राजनीतिक उथल-पुथल के साथ महामारी से जूझ रहाा है, जिसने अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका दिया है। सैन्य तख्तापलट के बाद गरीबों के लिए दोहरी मुसीबत है।

इन्हीं हालात में यांगून में मौजूद न्यू ऐ सुन्नी जेन मस्जिद के सदस्य निराश्रितों, COVID-19 अस्पतालों, क्वारंटाइन सेंटरों केंद्रों पैक भोजन बांट रहे हैं। इसके साथ ही संपन्न लोगों से इस काम में मदद की अपील कर धन और वालंटियरों का सहयोग भी जुटा रहे हैं।

शुरुआत में जागरुक मुसलमानों ने यह मुहिम उन लोगों की मदद करने के लिए शुरू की, जो हलाल उत्पाद खरीदने में सक्षम नहीं थे। लेकिन जैसे ही वायरस ने देश को संकट में डाल दिया और व्यापार को ध्वस्त कर दिया, तो उन्होंने सभी के लिए योजना बनाई।

मस्जिदों के सदस्यों ने भूख, बेकारी और बेरोजगारी से पीड़ित लोगों की मदद करना शुरू की। कुछ अरसे बाद हर रोज सुबह 2500 खाने के पैकेट बांटने शुरू कर दिए। हालात और खराब हुए तो फ्रंटलाइन चिकित्साकर्मियों और क्वारंटाइन सेंटरों पर भी रोजना शाम को 2500 से ज्यादा पैकेट बांटने लगे।

मुफ्त भोजन वितरण बड़ा ऑपरेशन बन गया, जिसके लिए वालंटियरों की फौज जुट गई। मस्जिद की ओर से बड़ी सी रसोई और पैकेट बनाने की व्यवस्था के लिए बड़ा हॉल मुहैया कराया गया। महामारी के दौरान हर दिन लगभग 120 स्वयंसेवकों की बदौलत इस मिशन को अंजाम दिया गया। इस काम को करने में शामिल सभी लोगों को खाना बनाते समय मास्क, हेयरनेट और प्लास्टिक के दस्ताने पहनना सुनिश्चित किया गया।

स्वयंसेवक करी और सूप बनाते हैं, फिर मसाला डालते हैं, फिर भोजन को पैकेट में पैक किया जाता है, जिसके लिए एक लंबी मेज का इस्तेमाल होता है। फिर भोजन को एक काले प्लास्टिक बैग में लेबल के साथ रखा जाता है और फिर वितरण के लिए भेजा जाता है। (Mosque Distributing Food Myanmar)

इस मिशन में लगे लोगों का कहना है, जब ये पैकेट अस्पताल में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचते हैं तो उन्हें बहुत खुशी होती है। यांगून में अन्य धर्मों की संस्थाएं भी अब इस काम में हाथ बंटा रही हैं। (Mosque Distributing Food Myanmar)


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