कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता, कई देशों में फिर लॉकडाउन

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द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। कोरोनावायरस के नए डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट ने पूरी दुनिया को एक बार फिर सकते में डाल दिया है. यूरोप के देशों में कोरोना का तेजी से संक्रमण फैल रहा है और इसका कारण डेल्टा वेरिएंट को ही बताया जा रहा है.

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53 से ज्यादा देशों में फैला डेल्टा वेरिएंट

इस वैरिएंट की वजह से यूरोप के कई देशों में लॉकडाउन की तैयारी है. ब्रिटेन ने चार हफ्ते के लिए लॉकडाउन बढ़ा भी दिया है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक बयान में भी कहा गया कि, डेल्टा वेरिएंट अब तक 53 से ज्यादा देशों में फैल चुका है.

इंग्लैंड में 19 जुलाई के बाद प्रतिबंधों में मिलेगी छूट

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को पुष्टि की है कि, डेल्टा वेरिएंट के प्रसार के परिणामस्वरूप इंग्लैंड में कोरोनावायरस प्रतिबंधों में अगली छूट 19 जुलाई तक यानी कि चार सप्ताह बाद ही संभव है. इस दौरान कड़े प्रतिबंध लागू रहेंगे.

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लाखों लोगों को लगना है टीका

प्रेस ब्रीफिंग में जॉनसन ने कहा कि, हमें विश्वास है कि हमें चार सप्ताह से अधिक की आवश्यकता नहीं होगी. क्योंकि लाखों और लोगों को वायरस के खिलाफ पूरी तरह से टीका लगाया जाना है, जिससे हजारों लोगों की जान बच सकती है. उन्होंने कहा कि, थोड़ी देर और इंतजार करना समझदारी है और अब संक्रमण को कम करने का समय है.

इन देशों में भी बढ़ी पाबंदियां

कोरोना के डेल्टा वेरिएंट को देखते हुए साइप्रस ने दो हफ्तों के लिए भारत में आने और जाने वालों पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह प्रतिबंध साइप्रस के नागरिकों पर लागू नहीं होगा.

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इसी प्रकार जिम्बाब्वे में भी 12 जून को कोरोना का डेल्टा वेरिएंट पाये जाने के बाद करिबा और हुरुंग्वे जिलों में दो सप्ताह का लॉकडाउन लगाया गया है. फ्रांस में भी कोरोना का डेल्टा वेरिएंट पाया गया है. लेकिन यहां अभी लॉकडाउन नहीं लगाया गया है.

डेल्टा प्लस वेरिएंट ने भी बढ़ायी चिंता

कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेवार डेल्टा वेरिएंट के बाद भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट का भी पता चला है. लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा है कि, इसमें चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि देश में इसके काफी कम मामले हो सकते हैं.

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डेल्टा वेरिएंट के उत्परिवर्तित होने से डेल्टा प्लस बना है. वैज्ञानिक इस बात का पता लगा रहे हैं कि, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को कितना चकमा दे सकता है. वायरस के इस नये प्रकार का मानवों पर कितना असर होगा, इसका अभी पता नहीं चल पाया है.

नया वैरिएंट ज्यादा घातक

विशेषज्ञों को कहना है कि, यह नया वेरिएंट भारत में हाल ही में स्वीकृत किये गये मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल उपचार का रोधी है. हालांकि जानकारों का कहना है इसका यह मतलब नहीं है कि, यह ज्यादा संक्रामक है और इससे ज्यादा घातक बीमारी हो सकती है.

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