नैनीताल के पास बन गई है एक भूमिगत झील, यही है भूस्खलन की वजह आईआईटी रुड़की का खुलासा

0
345

 

द लीडर उत्तराखंड।

नैनी झील के दक्षिणी छोर से कुछ आगे पूरब की तरह चार दशक से जमीन धसकने की असल वजह अब रुड़की आईआईटी की टीम ने खोज निकली है। दरअसल वर्तमान सुरम्य नैनीताल से 400 मीटर आगे धरती के अंदर बड़े पैमाने पर पानी जमा है। जमीन के अंदर बनी ये झील करीब 200मीटर लंबी और 5 मीटर तक गहरी है।
करीब 40 साल से लोग यह समझ नहीं पा रहे थे कि भवाली रोड पर बार बार जमीन क्यों धसक रही है औऱ बलिया नाले में इतना पानी कहाँ से आता है। यह भी अटकलें लग रही थी कि नैनीझील से रिसाव हो रहा है।
नैनीझील से करीब 400 मीटर दूर एक नई भूमिगत झील मिली है।
नैनीताल का निचला हिस्सा चार दशकों से संवेदनशील बना हुआ है। यहां बलिया नाले में 1980 में भूस्खलन के बाद इसके ट्रीटमेंट और सर्वे का काम शुरू हुआ। माना जा रहा था कि भूस्खलन नैनीझील में पानी रिसाव के कारण हो रहा है। इसके सर्वे के लिए आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून, जीएसआई समेत कई एजेंसियां को जुटाया गया। आईआईटी रुड़की की सर्वे टीम ने नैनीझील से करीब 400 मीटर दूर भवाली की तरफ 70 मीटर इलाके का भूमिगत सर्वे किया तो ये नई बात सामने आई है। हाल ही में सार्वजनिक हुई इस रिपोर्ट से पता चला है कि यहां जो पानी का रिसाव हो रहा है, वह नैनीझील से नहीं बल्कि भूमिगत नई झील के कारण हो रहा है।

चार दशकों में करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद स्थानीय लोगों को इस दहशत से निजात नहीं मिल पाई है। भूस्खलन के खतरे के चलते कई लोगों को मकान भी छोड़ने पड़े। नई झील का पता चलने से बलियानाले के बड़े इलाके में चार दशकों से भूस्खलन रोकने में भी मदद मिलेगी। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता हरीश चंद्र सिंह ने भी आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों के सर्वे की पुष्टि की है।

नैनीताल को मिलेगा अतिरिक्त पानी

नैनीताल के जिलाधिकारी धीरज गर्ब्याल का कहना है कि इस भूमिगत झील के पानी को अपलिफ्ट कर नैनीताल तक पहुंचाने की योजना पर काम किया जाएगा। इस इलाके का संयुक्त सर्वे हो चुका है। सिंचाई और नलकूप विभाग, जलनिगम आदि विभागों की आठ सदस्यीय कमेटी गठित की है। जो इस परिक्षेत्र में ट्यूबवेल स्थापित करेगी।