द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में जब आधी रात हो रही थी. हफ़्ते का दिन इतवार में तब्दील होने को था. कोहाड़ापीर पर मुमताज़ सक़लैनी और मुहल्ला सुर्ख़ा बानख़ाना के रहने वाले रज़वियों में टकराव हो गया था. यहां मारपीट के बाद ज़िला अस्पताल में भी लात-घूंसे चले. प्रेमनगर थाने से कोतवाली तक हंगामा खड़ा हुआ. पुलिस के पास से लेकर सरकारी और नीजी हास्पिटल तक रज़वियों की भीड़ दिखाई दी. पुलिस ने दोनों पक्षों की तरफ़ से एकदूसरे पर मुक़दमा दर्ज किया. मुमताज़ सक़लैनी पर इससे पहले आला हज़रत और हज़रत अमीर माविया की शान में ग़ुस्ताख़ी के इल्ज़ाम में तीन मुक़दमे दर्ज हैं. गिरफ़्तारी पहली बार हुई है.
पुलिस ने रात मुमताज़ सक़लैनी के साथ दूसरे पक्ष के फ़रमान को जेल भेजा है. इससे रज़वियों का ग़ुस्सा थोड़ा ठंडा हुआ है. मुमताज़ के नाम के साथ सक़लैनी जुड़ा है. इसलिए इस झगड़े को रज़वी बनाम सक़लैनी माना जा रहा था लेकिन दरगाह शाह शराफ़त मियां के मीडिया प्रभारी हमज़ा सक़लैनी की तरफ़ से साफ़ कर दिया गया कि इस मामले को हमारी ख़ानक़ाह शरीफ़ से नहीं जोड़ा जाए. यह विवाद सक़लैनी-रज़वी नहीं है. मतलब साफ़ है कि मुमताज़ सक़लैनी की हिमायत में सक़लैनी नहीं हैं.
इस बीच नया घटनाक्रम यह सामने आया कि उन दो लड़कों ने जो मुमताज़ सक़लैनी के साथ कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन में दिखाई दिए थे, माफ़ी मांगी और तौबा की है. उनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं. इनमें एक का नाम राहिल और दूसरे का मुहम्मद अज़हर अली है. दोनों का ही कहना है कि उन्हें कचहरी धोखे से बुलाया गया था.अब देखना होगा यह मामला यहीं ख़त्म हो गया या फिर आगे जाएगा. यह मुमताज़ सक़ैलनी की जेल से रिहाई के बाद ही तय होगा.