लखनऊ विश्वविद्यालय का 67वां दीक्षांत समारोह संपन्न,106 छात्रों को पदक और उपाधियाँ की गयी प्रदान….

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लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने ऐतिहासिक आर्ट्स क्वाड्रैंगल में सोमवार को 67वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया। इस गौरवशाली अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलाधिपति, आनंदीबेन पटेल ने अध्यक्षता की, और पद्म भूषण डॉ. विजय पांडुरंग भटकर, भारत के पहले सुपरकंप्यूटर “परम” के जनक मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी भी विशिष्ट अतिथियों के रूप में उपस्थित थे।
इस दीक्षांत समारोह में इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. निलेश एम. देसाई को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए मानद उपाधि प्रदान की गई। समारोह में 106 विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उत्कृष्टता के लिए पदक और उपाधियाँ प्रदान की गईं।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने अपने संबोधन में भगवान गणेश उत्सव की महत्ता को रेखांकित करते हुए बताया कि यह पर्व हमारे देश में एकता और राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से हमें राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देना चाहिए और उन अवरोधों को दूर करना चाहिए जो इस भावना के विकास में बाधा बनते हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे शिक्षा को सिर्फ ज्ञान प्राप्ति का साधन न मानें, बल्कि इसका उपयोग समाज और देश की सेवा के लिए करें। हमारे देश की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है और हमें आने वाली पीढ़ियों को इस दिशा में मार्गदर्शन देना आवश्यक है।
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने छात्रों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और उन्हें प्रेरित किया कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए करें। उन्होंने कहा कि आपके प्रमाणपत्र सिर्फ एक औपचारिक दस्तावेज नहीं हैं, बल्कि यह आपके जीवन में आने वाले अवसरों और चुनौतियों को पार करने का साधन हैं। आप चाहे उच्च शिक्षा प्राप्त करें, उद्यमिता में जाएं या रोजगार के क्षेत्र में कदम रखें, हमेशा याद रखें कि आपके पास समाज में गहरा प्रभाव डालने की क्षमता है।