किसान आंदोलन का शतक पूरा – अभी भी नॉट आउट

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लखनऊ | केंद्र सरकार द्वारा लाए गए 3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को अब 100 दिन से ज़्यादा हो गए हैं। इस बीच केंद्र सरकार और किसानों के बीच काफी तीखी नोक झोक और कई तरह की चर्चाएं हुई लेकिन सब बेनतीजा ही निकली। सरकार ने हर तरीके से प्रयास कर लिया लेकिन किसानों की एक मात्र मांग को अभी भी अनसुना करा हुआ है। किसानों का कहना है कि हम आखरी सांस तक लड़ने को तैयार हैं लेकिन जब तक वह तीन कृषि बिल सरकार वापस नहीं लेती, जब तक हम पीछे नहीं हटेंगे।

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इस बीच किसान आंदोलन से एक उभरता हुआ चेहरा भी सामने आया। राकेश टिकैत किसान आंदोलन का नेतृत्व करते हुए दिखे और सारी महापंचायतों के नेता रहे। आज 100 दिन पूरे होने के मौके पर किसान नेता राकेश टिकैत मुज़फ्फरनगर में गुरुद्वारे पहुँचे और किसानों साथ अरदास की।

पिछले साल के 26 नवंबर से ही किसान हजारों की संख्या में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर अलग-अलग जगह धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों की मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को कानून बनाने की भी है. इस आंदोलन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, अलग-अलग कारणों से अब तक कुल 248 लोगों की जान जा चुकी है। किसान आज काला दिवस मना रहे हैं।

किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने के मौके पर किसान कुंडली-मानेसर-पलवल यानी KMP एक्सप्रेसवे पर 5 घंटे के लिए नाकेबंदी करेंगे। ये नाकेबंदी सुबह 11:00 बजे सुबह से शाम 5:00 बजे तक होगी। इसके अलावा डासना, दुहाई, बागपत, दादरी, ग्रेटर नोएडा पर किसान सड़क जाम करेंगे। सभी किसान इस दौरान अपनी बाहों पर काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे. किसानों ने कहा है कि काला दिवस के दिन एक्सप्रेसवे पर टोल प्लाजा भी फ्री कराए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश के खाप पंचायत के नेता आज मुख्यमंत्री आवास योगी आदित्यनाथ से मिलने भी पहुँचे। भाजपा विधायक उमेश मलिक भी खाप चौधरी के साथ मौजूद है। उम्मीद की जा रही है कि इस मुलाकात में किसान आंदोलन को ख़त्म करने का कोई समाधान मिलेगा। अभी तक की 11 दौर की बैठक में एक बार भी किसान नेताओं का योगी आदित्यनाथ से सामना नहीं हुआ है। ऐसे में उम्मीद लगाई है कि मुख्यमंत्री से मिलने के बाद किसान आंदोलन का रुख बदल सकता है। ये संभव तभी हो पाएगा जब योगी आदित्यनाथ तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बारे में कोई चर्चा करने को तैयार होंगे।

26 नवंबर को शुरू हुए आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने पहली बार एक दिसंबर को किसानों से बातचीत की पहल की थी। अब तक कुल 11 दौर की वार्ता किसान प्रतिनिधियों और सरकार के नुमाइंदों के साथ हो चुकी है लेकिन एक भी वार्ता सफल नहीं रही है। किसान तीनों कानूनों के रद्द कराने पर अड़े हैं, जबकि सरकार उसमें संशोधन का प्रस्ताव देती रही है। सरकार ने तीनों कानूनों को कृषि सुधारों की दिशा में बड़ा कदम करार देते हुए कहा है कि इससे किसानों को लाभ होगा और अपनी उपज बेचने के लिए उनके पास कई विकल्प होंगे।

विपक्ष का ज़ोरदार प्रहार
इस बीच विपक्षी दल पूरी तरह किसानो के समर्थन में उतरा हुआ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी किसान आंदोलन में शामिल हो चुके है और कांग्रेस किसानों के आंदोलन का लगातार समर्थन कर रही है. मेरठ में कांग्रेस की आज किसान महापंचायत है. इस महापंचायत में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हो सकती हैं.कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के 100 दिन पूरा होने पर शुक्रवार को कहा कि सरकार को ये कानून वापस लेने ही होंगे. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘बीज बोकर जो धैर्य से फ़सल का इंतज़ार करते हैं, महीनों की प्रतीक्षा व ख़राब मौसम से वे नहीं डरते हैं. तीनों क़ानून तो वापस करने ही होंगे.”

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