संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने आगाह किया किया है कि सर्दियां शुरू होने से पहले लाखों अफगानों के पास भोजन की कमी हो सकती है। इतना ही नहीं, देश में दस लाख बच्चों पर भुखमरी का खतरा है। अगर उनकी तत्काल जरूरतें पूरी नहीं की गईं तो उनकी मौत हो सकती है। (Afghan Children Death Situation)
जिनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अफगान संकट पर कहा कि तालिबान के पिछले महीने सत्ता संभालने के बाद से देश की गरीबी दर बढ़ गई है। जबकि हाल के वर्षों में सैकड़ों लोग जंग के इलाके से पलायन को मजबूर होने से बेघर हो गए हैं।
गुटेरेस ने यह भी कहा कि दशकों के युद्ध और पीड़ा के बाद वे अब शायद अपने सबसे खतरनाक समय का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीन में से एक अफगान को यह भी नहीं पता कि उन्हें अपना अगला भोजन कहां मिलेगा।
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मीडिया को दिए एक बयान में गुटेरेस ने उल्लेख किया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की बैठक में एक बिलियन डॉलर से ज्यादा सहायता देने का फैसला लिया गया है। मददगार अभी यही पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि मानवाधिकार हनन और क्रूरता के लिए कुख्यात तालिबान जैसे संगठनों के साथ कैसे काम किया जाए। (Afghan Children Death Situation)
लंबे समय से अफगानिस्तान पर छाई मानवीय आपदा अब इस देश के बच्चों के लिए सीधा खतरा बन गई है। लगभग 10 मिलियन बच्चे जिंदा रहने को मानवीय सहायता पर निर्भर हैं।
यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा एच. फोर कहते हैं, यह अनुमान है कि इस साल कम से कम दस लाख बच्चे गंभीर और भीषण कुपोषण के हालात से गुजरेंगे और बिना इलाज उनकी मौत हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, तत्काल संकट को दूर करने के लिए आपातकालीन निधि में कम से कम 606 मिलियन डॉलर की जरूरत है, जबकि इतना पैसा भी नाकाफी नहीं होगा। संगठन ने तालिबान से श्रमिकों की सहायता के लिए सुरक्षा देने का भी आग्रह किया। (Afghan Children Death Situation)
जब तालिबान ने इस मामले पर हामी दर्ज कराने की कोशिश की तो संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट ने उनकी ईमानदारी पर संदेह जताया।
उन्होंने हिदायत और नसीहत देते हुए कहा, तालिबान को महिलाओं के इलाज, श्रमिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के शब्दों का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। पिछले तीन सप्ताह के भीतर अधिकारों को लेकर दिए गए आश्वासनों के खिलाफ बहुत कुछ सामने आया है।
उन्होंने यह भी कहा संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का मकसद मौजूदा संकट की गंभीरता को दिखाना और पश्चिमी सरकारों को आश्वस्त करना है, जो अभी भी अफगानिस्तान की मदद करने से हिचकिचा रही हैं।
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